गौतम बुद्ध का शुरुआती जीवन–:
गौतम बौद्ध का जन्म 563 ई.पूर्व में नेपाल में हुआ था। गौतम बुद्ध का बचपन में सिद्धार्थ नाम रखा गया था। गौतम के पिता का नाम नरेश सुद्धोधन और उनकी माता का नाम महादेवी था।
बुद्ध को बचपन से ही सांसारिक गतिविधियों में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। बचपन से बुद्ध एकांत प्रिय मनशील और दयालु भाव के थे।
बुद्ध एक क्षत्रिय जाति से थे इसीलिए उनकी शिक्षा शास्त्र ज्ञान के अनुसार ही कराई गई थी। गौतम बुद्ध को शास्त्र से जुड़े कई परीक्षण भी सिखाए गए थे जैसे कि हथियार चलाना घुड़सवारी करना तलवार चलाना आदि कई चीजे।16 वर्ष की उम्र में गौतम बुद्ध का विवाह कर दिया गया था गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था।
बुद्ध द्वारा दिए गए चार मुख्य चिन्ह -:
एक बार जब बुद्ध भ्रमण कर रहे थे तो उन्होंने यह चार मुख्य चिन्ह दिए थे-:
• जब बुद्ध ने बूढ़े आदमी को देखा हुआ झुका हुआ चल रहा था तो उन्होंने अपनी सारथी चन्ना से पूछा कि यह झुक कर क्यों चल रहा है तो चन्ना ने जवाब दिया कि वह झुक इस वजह से था क्योंकि वह वृद्धावस्था में हैं उसके चेहरे पर झुर्रियां भी पड़ी हुई थी। फिर चन्ना महात्मा बुद्ध को बताता हैं कि वृद्धावस्था हर इंसान को भोगनी पड़ती है यह दुख सभी मनुष्यों के लिए स्वाभाविक है ।
• जब बुद्ध थोड़ा आगे बढ़े तो उन्होंने वहां पर एक आदमी को देखा वह आदमी बीमारियों से पीड़ित था तब बुद्ध ने समझा कि जीवन और बीमारियां साथ ही साथ चलती रहती है।
• थोड़ा आगे जाने के बाद जब गौतम बुद्ध विश्राम करने चले तब उन्होंने एक अमृत व्यक्ति की लाश जाते हुए देखी जब अपने अंतिम यात्रा पर जा रहा था बुद्ध ने देखा की बहुत से रिश्तेदार रो रहे हैं, बहुत से लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है तब बुद्ध जी ने कहा की मृत्यु से कोई नहीं बच सकता संसार का तो यही नियम है जो धरती पर आएगा उसकी मृत्यु होना निश्चित है। इस जाल से कोई भी नहीं बच सकता है।
• वृद्धा अवस्था का व्यक्ति,बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति, और एक मृत व्यक्ति की लाश देखने के बाद जब बुद्ध और आगे गए तो उन्होंने एक संन्यासी को देखा सन्यासी से बात करने के बाद उसके मुख की खुशी को देखने के बाद बुद्ध को लगा किया कि संसार के सभी चीजों से बहुत ही खुश है क्योंकि वह इन सभी संसार की माया से दूर है।जीवन के चारो पहलूओ से रूबरू होने के बाद बुद्ध के जीवन मे एक अहम बदलाव आया।
बुद्धा का त्याग -:
29 वर्ष की उम्र में बुद्ध की पत्नी यशोधरा ने एक पुत्र को जन्म दिया था। यह सब कुछ देखने के बाद बुद्ध इस माया मुंह को त्यागना चाहते थे इसी कारण 29 वर्ष की उम्र में बुद्ध ने अपने घर को त्याग दिया संसार के माया मोह खुशी इन सभी को त्याग दिया था।
जब बुद्ध राज्य की सीमा पर पहुंच गया तब उनके साथ जो उनका सारथी था उससे बुद्ध ने कहा कि मेरे पिता को बता देना कि मैं अब एक सन्यासी का जीवन जिऊंगा मैंने इन सब का त्याग कर दिया है। तब सारथी ने बुद्ध के साथ रुकने का आग्रह किया पर बुद्ध ने मना कर दिया बुद्ध ने कहा कि संसार में इंसान अकेला ही आता है उसे अकेला ही जाना होगा इसीलिए इंसान को अकेले रहने की आदत डाल लेनी चाहिए।
गौतम का ज्ञानोदय -:
गौतम बुद्ध जब गया में रहते थे तब उन्होंने वहां पर निरंजना नदी में स्नान किया।स्नान के पश्चात गौतम बुद्ध विचार करने लगे कि वह इस स्थान से तब तक प्रस्थान नहीं करेंगे जब तक उन्हें उनके सभी प्रश्नों का जवाब नहीं मिल जाता।फैसला लेने के बाद वे पीपल के एक पेड़ के नीचे शरण लेकर बैठ गए। पूर्ण रूप से जब गौतम ध्यान मे लीन थे उन्हे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई।
जब बुद्ध 35 वर्ष की उम्र के थे तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति उसके बाद में ज्ञानी बुद्ध के नाम से जाने जाने लगे।जिस पेड़ के नीचे गौतम बुद्ध जी ने अपने दिव्यज्ञान की प्राप्ति की थी उसे पेड़ को बुद्धि वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर बुद्ध जी ने ज्ञान प्राप्त किया था उसे स्थान का नाम भी अब बोधगया रख दिया गया है।
गौतम बुद्ध के अनमोल वचन -:
गौतम बुद्ध के द्वारा साथ ऐसे सिद्धांत बताए गए हैं जिनके द्वारा मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। वह सिद्धांत है -:
> सही विश्वास
> सही सोच
> सही कारवाई
> सही प्रयास
> आजीविका का सही साधन
> सही स्मरण
> सही ध्यान
गौतम बुद्ध की मृत्यु-:
80 वर्ष की उम्र में गौतम बुद्ध का निधन हो गया था।उनकी मृत्यु गोरखपुर मे हुई थी। जो आज के समय मे उत्तर प्रदेश के राज्य मे स्थित है। बुद्ध के उपदेश और विचार आज भी लोगों के बीच प्रचलित हैं। बुद्ध की दिए शिक्षाओं और अष्टांगिक मार्ग का बहुत सारे लोग अपने जीवन में इसका प्रयोग करते हैं।