दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली से 600 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ में एक स्थित अग्रसेन नगर कालोनी में एक घर है जिसका क्षेत्रफल लगभग एक हजार स्क्वायर फीट है। इस घर के मालिक सौरभ शुक्ला ने मेहनत और लगन के साथ न सिर्फ खूबसूरती से इस घर को प्राकृतिक तरीके से सजाया है बल्कि और भी लोगों को हरियाली बढाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। वर्तमान मे वाकई ऐसी मुहिम की सख्त जरुरत है। घर के बाहर से ही आपकी मुलाकात हरे भरें पेड़ पौधों से होने का सिलसिला शुरू हो जायेगा, दुमंजिला बने इस मकान की छत तक पहुँचने तक ऐसा लगता है जैसे बरामदें से जीने तक दोनों तरफ अलग-अलग प्रजाति के फूलों के पौधे आपका स्वागत कर रहें है।
लखनऊ के निवासी सौरभ शुक्ला व उनकी पत्नी अर्चना शुक्ला, ऐसे लोगो के लिए मिसाल है जो कि शहर में रहते हैं और गार्डनिंग का शौक पूरा न हो पाने में समय का बहाना करते है। वर्तमान समय मे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) में बतौर विधि अधिकारी कार्यरत सौरभ कुमार शुक्ला व उनकी पत्नी अर्चना जो कि पेशे से शिक्षक हैं व वर्तमान समय में सीतापुर जनपद में तैनात है। इस प्रकृति माँ के आराधक दंपत्ति के दो बच्चे हैं जिनके नाम क्रमशः जाहनवी (8 वर्ष) और मृगांक (4 वर्ष) हैं।
इस घर की पूरी छत अपने आप में एक सुंदर बाग़ और नर्सरी की तरह है, इन पेड़ पौधों में लगने वाली खाद का निर्माण भी सौरभ और उनकी पत्नी अर्चना किचन के अनुपयोगी सामग्री से करते है।
बचपन से गार्डनिंग का है शौक, छत को बनाया बगीचा
सौरभ, इंडिया मित्र संवाददाता को अपना बगीचा दिखाते हुए बताते है,
“हमारे पास कमल के फूलों की 25 प्रजातियाँ हैं जिसमें मुख्य हैं नेटिव वैराइटी जोकि गुलाबी रंग के फूल देती है। ग्रीन एपल प्रजाति का फूल कुछ यूं खिलता है जैसे कि हरे रंग का सेब हो। इसी प्रकार लेडी बिंगले ऐसी कमाल की प्रजाति है जिसे 6 इंच के गमले मे भी उगाया जा सकता है।”
सौरभ के बगीचे मे गुड़हल की करीब 25 प्रजातियों के पौधे हैं जिनमे भिन्न-भिन्न रंगों के फूल जब खिलते हैं तो मन मोह लेते हैं। इन्ही पौधों के साथ गुलाब की भी करीब 20 प्रजातियों के पौधे इनके घर की छत पर उगाये गए हैं जिनमे कुछ प्रमुख प्रजातियों मे टाइगर रोज़ है जिसके फूल चित्तीदार या धारीदार होते हैं और इनकी इसी विशेषता के चलते इन्हे यह नाम मिला है।
इसके साथ ही सौरभ के रूफ-गार्डन मे अल्मण्डा के चार अलग अलग रंग के पौधे हैं जोकि एक प्रकार कि बेल है। राखी-बेल के नीले और लाल रंग के फूलों कि दो बेलें हैं। इस पौधे को महाभारत पुष्प भी कहा जाता है क्यूंकी इसके पुष्प मे 100 पंखुड़ियाँ होती है। इनके फूल दिखने मे राखी जैसा ही लगता है।
एक्ज़ोरा पौधे के भी चार रंगों के फूलों के पौधे भी इनकी छत पर पल्लवित हो रहे हैं। स्थल-कमल का पौधा जिसका पुष्प पूरे दिन मे 3 बार अपना रंग बदलता है। यह फूल सुबह खिलते समय सफ़ेद तो दोपहर मे गुलाबी और शाम होते-होते लाल रंग का हो जाता है। इस अनोखे फूल का पौधा भी इनकी छत पर अपनी छटा बिखेर रहा है।
सिर्फ फूल ही नही सब्जियों के भी है पौधे
सभी के पसंदीदा कनेर के पौधे की 5 प्रजातियों के पौधे इनकी छत पर खिलखिला रहे हैं और रोज़ सुबह सफ़ेद, गुलाबी, लाल और नारंगी रंग के फूल प्रदान करते हैं। चम्पा, नागचंपा आदि की कई प्रजातियों के पौधे भी इनसे छूटे नहीं हैं। इनके अलावा इनकी छट पर बरहमासी आम का पौधा, चीकू का पौधा, अमरूद का पौधा भी इनकी छत पर लगे हुये हैं। साथ ही साथ पालक, धनिया, बैंगन, टमाटर आदि सब्जियाँ भी गमलों, टबों मे सौरभ की छट पर इनके द्वारा उगाये जा रहें हैं।
आप ऑर्किड की बात करें तो इसके भी पौधे इनहोने लगा रखें हैं। यह पौधा बिना मिट्टी के मात्र नारियल के छिलके मे उगाया जाता है। मौसमी पौधों की क्या ही बात की जाए। अभी जाड़े का मौसम चल रहा है तो कई वैराइटी के गुलदाउदी, पेंजी, पिट्यूनीय, सेरेनिया आदि पौधे छोटे छोटे गमलों मे अपने रंग-बिरंगे फूलों से सौरभ और अर्चना के घर मे चार चाँद लगा रहें हैं। सौरभ ने खाली समय मे स्वयं 24 इंच आकार के गमले भी बनाए हैं जिनमे बड़े आकार के पौधे लगे हैं।
कहावत है कि जहां चाह वहां राह! अगर आप प्रकृति से प्यार करते है तो साधन संसाधान आपकी राह में कभी बाधा नहीं बन सकते और ये करके दिखाया है लखनऊ के सौरभ शुक्ला ने ,बकौल सौरभ परिवार के बाद अगर उनकी कोई दूसरी चाहत है तो है पेड़ पौधों के साथ अपना समय व्यतीत करना।
सौरभ बताते है,
“प्रकृति अपने आप में अदभुत और रहस्यों से भरी हुई है। लोक कथाओं और धार्मिक कथाओं के इस बात का वर्णन है कि पेड़ पौधें संवेदना को महसूस करते है,स्पर्श को पहचानते है। विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है।”
सौरभ ने इंडिया मित्र संवाददाता से बात करते हुए बताया कि इन पेड़ पौधे के साथ समय व्यतीत करना मन को शांत, सकारात्मक और स्थिर रखने का एक बेहतरीन तरीका है। बागवानी आपको धैर्यवान, ऊर्जावान बनने और प्रकृति माँ से लिए गए संसाधनों की क्षतिपूर्ति का अवसर प्रदान करती है।