कात्यायनी माता नवरात्रि की छठी शक्ति हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। वह भगवान शिव की पत्नी और भगवान कार्तिकेय की माता हैं। कात्यायनी माता की महिमा अपरंपार है और वह अपने भक्तों को शक्ति, साहस, और ज्ञान प्रदान करती हैं।
कथा -:
कात्यायनी माता की कथा महिषासुर नामक असुर के वध से जुड़ी हुई है। महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवताओं ने भगवान शिव, भगवान विष्णु, और भगवान ब्रह्मा से मदद मांगी। तीनों देवताओं ने मिलकर कात्यायनी माता को जन्म दिया। कात्यायनी माता ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को उनका स्वर्ग लौटा दिया।
पूजा विधि:
कात्यायनी माता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- स्नान और शुद्धि करें।
- पूजा स्थल पर मां कात्यायनी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- मां को फूल, फल, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
- मां की आरती और मंत्रों का जाप करें।
- पूजा के अंत में मां को प्रसाद अर्पित करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
मंत्र:
“ॐ कात्यायनी महामाये मधुकैटभभिदे |
तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्”
महिमा:
कात्यायनी माता की महिमा अपरंपार है। वह अपने भक्तों को शक्ति, साहस, और ज्ञान प्रदान करती हैं। कात्यायनी माता की पूजा करने से व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।