सार
सूरज पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है। सूर्य से बहुत ज्यादा ऊर्जा निकलती है इसके अलावा कोई भी तारा ऐसा नहीं है जिससे इतनी अधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। सूर्य एक ऐसा तारा है जिसे हम आग का गोला भी कह सकते हैं। तमाम स्पेसक्राफ्ट, सेटेलाइट, कम्युनिकेशन सिस्टम खराब हो सकते हैं par इस सूर्य में इतनी अधिक ऊर्जा होती है क्या कभी खत्म नहीं हो सकता। सूर्य से बहुत सी ऐसी किरणें निकलती हैं जो हमारे व प्रकृति के लिए हानिकारक होती हैं ।ऐसी घटनाओं की समय रहते सूचना हासिल करना बहुत जरूरी है। अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। भारत की तरफ से सूर्य पर भेजा जाने वाला यह पहला मिशन है।
विस्तार
भारत का पहला सौर मिशन आदित्य L1 लॉन्च हो चुका है। यह मिशन सूर्य की स्थिति का अध्ययन करने जा रहा है। आदित्य L1 सूर्य के अध्ययन के लिए पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित और ऑब्जर्वेटरी होगी। इसका काम सूरज पर 24 घंटे नजर रखना होगा।
यह मिशन आदित्य L1 कैसे करेगा काम??
आदित्य L1 24 घंटे सूर्य पर हेलो आर्बिट 1-से नजर रखेगा यह ग्रहण के समय भी सूर्य की निगरानी कर सकेगा । यह वहां होने वाले प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी जुटाएगा। यह इसरो का अब तक का सबसे जटिल मिशन होने वाला है। आदित्य L1 अंतरिक्ष यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच मौजूद L-1पॉइंट पर सौर ऊर्जा के स्टडी के लिए डिजाइन किया गया है।
कैसे जाएगा मिशन?
आइए जानते हैं कि कैसे आदित्य L1 मिशन सूर्य की हेलो ऑर्बिट तक पहुंचेगा..
- आदित्य L1 मिशन को इसरो के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लॉन्च किया है।
- धरती से लांच होने के बाद आदित्य L1 को हेलो ऑर्बिट तक पहुंचने में लगभग 4 महीने का वक्त लगेगा।
- तमाम अंतरिक्ष मिशन को चलाने के लिए अंतरिक्ष के मौसम को समझना जरूरी है।इससे स्पेस का मौसम समझा जा सकता है।
- जयसूर्य के कोरे नक्की बिष्ट जी करेगा एवं सूर्य की high-resolution तस्वीरें लेगा और हवाओं का जायजा लेकर सभी जानकारियां पृथ्वी पर भेजेगा
क्या है आदित्य L1 मिशन…
आदित्य L1 मिशन ऑब्जर्वेटरी क्लास मिशन है यह पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी होगी। अभी तक हम सूरज की स्टडी धरती पर लगी दूरबीन से ही कर रहे थे परंतु अब हमारा सूर्ययान मिशन पृथ्वी से दूर जाकर सूर्य के नजदीक हो करके उसका अध्ययन करेगा। पृथ्वी पर लगी दूरबीन है कोडाईकनाल / नैनीताल के ARIES जैसी जगह पर लगी है। लेकिन हमारे पास स्पेस में टेलीस्कोप नहीं है धरती की दूरबीन से सूरज की स्थिति का पता लगा पाते हैं सूरत से सूरत से एटमॉस्फियर नहीं दिखता जो धरती के वातावरण से काफी अलग है।सूरज के आउटर एटमॉस्फेयर को कोरेना कहा जाता है। सूर्यायान मिशन आदित्य L-1 इसी कोरेना का पता लगाएगा। सूर्य काफी गर्व है कोरिया को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही देखा जा सकता है अब हम कोरिया नागराज जैसा एक टेलीस्कोप VELC इस मिशन के साथ भेज रहे हैं कोरेना पर 24 घंटे निगाह रखेगा और ब्रांड स्टेशन पर रोज 1440 फोटो भेजिएगा
सूर्य के अध्ययन की जरूरत क्यों???
सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है और काफी गर्म होता है। सूर्य के प्रकार के ऐसे हानिकारक लेने निकलती हैं जो हमारे स्वास्थ्य और त्वचा दोनों के लिए काफी हानिकारक होती हैं नकेल मनुष्य को हानि पहुंचाती अपितु पौधों को भी हानि पहुंचाती हैं ऐसे ही कुछ विशेष जानकारियों को प्राप्त करने के लिए सूर्ययान मिशन आदित्य L1 को लॉन्च किया गया है
सूर्य के अध्ययन करने का उद्देश्य…
- सूर्य की सतह पर होने वाली तमाम विस्फोटक प्रक्रिया पृथ्वी के नजदीक के से एरिया में खासी दिक्कतें पैदा कर सकती हैं संचार उपग्रह को इससे नुकसान हो सकता है इस मिशन से सूर्य की ऐसी प्रक्रिया का पता लगाने का इसका प्रमुख उद्देश्य है।
- कई स्पेस मिशन को चलाने के लिए स्पेस के मौसम को समझना बेहद जरूरी है इस मिशन से स्पेस के मौसम को अच्छी तरह से समझा जा सकता है। इसके माध्यम से सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणों का पता लग जाएगा और उससे समय रहते सुरक्षा की जा सकेगी।
- सूर्य एक ऐसा तारा है जो हमारी पृथ्वी के सबसे करीब है।दूसरे तारों की तुलना में इसका अध्ययन आसान है। सूर्य का अध्ययन करने से हम मिल्की वे में मौजूद बाकी तारों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
- सूर्य की कोरेना की स्टडी भी आदित्य L1 करेगा। सारी हवाओं का जायजा लेकर आदित्य L-1 के पेलोड में लगा वैज्ञानिक कैमरा सूरज की high-resolution तस्वीरें लेगा और इससे पृथ्वी पर भेज दिया जाएगा।
- आदित्य L-1को पीएसएलवी ने सटीक तरीके से अंडाकार कक्षा में स्थापित कर दिया है। अब यह सूर्य की ओर 125 दिन की लंबी यात्रा पर जाएगा।