चक्रवाती तूफान फेंगल ने पुडुचेरी और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा असर डाला है। पुडुचेरी ने अपने इतिहास में इतनी बारिश नहीं देखी। 30 सालों में सबसे ज्यादा बारिश यहां हुई है।
चक्रवाती तूफान फेंगल ने जहां तमिलनाडु में कहर बरपाया वहीं अब इसका असर झारखंड में दिखने लगा है। राजधानी रांची समेत आसपास के जिलों में दिनभर आसमान में बादल छाए रहे। मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने निकटवर्ती मध्य हिस्से में हल्की वर्षा होने का संकेत दिया है। इसके बाद कोहरे का भी असर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
क्या होता है चक्रवात?
तेज हवा युक्त तूफान चक्रवात कहलाता है यदि हम भौगोलिक दृष्टि से देखे तो चक्रवात, वायुमंडलीय स्थितियों में अस्थिरता के कारण होने वाला एक घूमता हुआ तूफ़ान होता है। यह एक विशाल वायु प्रणाली है जो कम दबाव वाले क्षेत्र के चारों ओर घूमती है।
कैसे रखा जाता है चक्रवात का नाम?
चक्रवात का नाम ऐसे ही नहीं रखा जाता है बल्कि यह विश्व मौसम विभाग संस्थान द्वारा रखा जाता है विश्व मौसम विभाग संस्थान ने सभी देशों को चक्रवात का नाम रखने की अधिकार दिए हैं या अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से बनता गया है ।आईए जानते हैं कि फेंगल चक्रवात का नाम किसने रखा है और यह कैसे रखा जाता है –
- चक्रवातों से भारी वर्षा, जल जमाव, नमी का बढ़ता तनाव, और फसलों पर कीटों और बीमारियों का हमला होता है
- चक्रवातों के नाम और उनकी सूची रखने का काम विश्व मौसम विज्ञान संस्थान करता है।
- चक्रवातों के नाम रखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि वे किसी जाति विशेष, धर्म, या किसी समुदाय से जुड़े न हों।
- चक्रवातों के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है। इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है। किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है यानी कि हिंद महासागर क्षेत्र में आया हर चक्रवात अलग नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, ‘फेंगल‘ नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था।