आज शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का पर्याप्त लाभ छात्रों को मिल रहा है। शिक्षण संस्थान तेजी से बदलती हुई तकनीकी को अपने पाठ्यक्रमों में लागू कर रहे हैं। इससे छात्रों को विश्वस्तरीय गुणवत्ता की शिक्षा मिलने में आसानी हो जाएगी। हम आपको बता दें कि पाठ्यक्रम में बाजार और इंडस्ट्री की मांग के अनुसार तेजी से बदलाव हो रहे हैं ताकि विद्यार्थी आगे भविष्य में स्वरोजगार में सक्षम हो सके। इससे इंडस्ट्री की शिकायत को दूर करने में भी काफी मदद मिल सकती है कि उन्हें कौशल युवा नहीं मिल पा रहे हैं।
क्या यह नई शिक्षा 2020 नीति?
मानव विकास संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत शिक्षा नीति को चलाया जाता था, लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद इस मंत्रालय के नाम को बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। यह नीति उच्च शिक्षा को अपनी भाषा में पढ़ने की स्वतंत्रता देने के साथ ही बच्चों को कला और खेल-कूद के क्षेत्र में बढ़ावा देती है।
इस नीति के तहत सरकार के द्वारा कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिसमें वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Eurolment Ratio-GER) को 100% तक लाना शामिल है। शिक्षा के क्षेत्र पर केंद्र व राज्य सरकार की मदद से जीडीपी का 6% हिस्सा व्यय करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। नई शिक्षा निति 2020 के अंतर्गत शैक्षणिक संरचना को 5 + 3 + 3 + 4 में डिज़ाइन किया गया है।
पुरानी शिक्षा निति का पाठ्यक्रम 10+2 के अनुसार चलता था, लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 (bhartiya shiksha Niti 2020) की शैक्षणिक संरचना 5+3+3+4 के हिसाब से की गई है। इस निति को बच्चे की 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के अनुसार 4 अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहले हिस्से में प्राइमरी से दूसरी कक्षा, दूसरे हिस्से में तीसरी से पांचवीं कक्षा, तीसरे हिस्से में छठी से आठवीं कक्षा और चौथे हिस्से में नौंवी से 12वीं कक्षा को शामिल किया गया है।
जानिए नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 के प्रारूप को…
नई शिक्षा नीति 2020 ( न न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020) की शैक्षणिक संरचना 5+3+3+4 के हिसाब से की गई है। इस नीति को बच्चे की 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के अनुसार 4 अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है।
पहले हिस्से में प्राइमरी से दूसरी कक्षा, दूसरे हिस्से में तीसरी से पांचवीं कक्षा, तीसरे हिस्से में छठी से आठवीं कक्षा और चौथे हिस्से में नौंवी से 12वीं कक्षा को शामिल किया गया है।जबकि पुरानी शिक्षा निति का पाठ्यक्रम 10+2 के अनुसार चलता था।
टीचिंग लर्निंग प्रोसेस में बदलाव..
जैसा कि कहा जाता है कि विद्यालय में शिक्षक माली के समान होते हैं और विद्यार्थी फूल के पौधे के जैसे। जिस प्रकार से माली अपने पौधों को सींच कर उन्हें बड़ा करता है उसी प्रकार से शिक्षक भी अपने विद्यार्थी को पढ़ा लिखा कर उन्हें योग्य बनाते है और उन्हें आगे बढ़ाते हैं। इसलिए विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस प्रकार से शिक्षक किसी भी शिक्षण संस्थान की आत्मा होते हैं। यह फैकल्टी अपग्रेडेशन शिक्षण संस्थान को आगे बढ़ाने की एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। आज के समय में तकनीकी काफी तेजी से बढ़ रही है और छात्रों को उसके मुताबिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना एक बड़ी चुनौती हो गई इसलिए शिक्षकों को लगातार अपडेट रहने की जरूरत है। क्योंकि बढ़ती तकनीकी और बदलती तकनीकी की समझ के साथ ही शिक्षक अपने छात्रों को स्मार्ट स्टडी कराने में सक्षम हो पाएंगे। इसके लिए शिक्षण संस्थान दुनिया के ख्याति प्राप्त संस्थानों के साथ समझौता कर रहे हैं ताकि शिक्षकों को एडवांस शिक्षण प्रशिक्षण जैसे एआई,चैट जीपीटी, गूगल चैट बोर्ड,मेटावर्स, एम एल, ब्लॉकचेन आदि मिल सके। जिस संस्थान की फैकल्टी जितनी एडवांस होगी वहां शिक्षा गुणवत्ता का स्तर उतना ही ऊंचा हो जाएगा।इस तरह के शिक्षक कक्षा में पढ़ाने के साथ एडवांस वीडियो के जरिए छात्रों से लगातार है ईंन्ट्रैक्ट रह सकते हैं।
टेक्निकल ज्ञान है जरूरी..
आज के समय में किसी भी शिक्षण संस्थान का लाभ इस रूप में देखा जाना चाहिए कि उसकी कितने छात्र इंडस्ट्री में कितने छात्रों को टेक्निकल ज्ञान है क्योंकि यही आज की सबसे बड़ी चुनौती है जैसे कोडिंग आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।इसे देखते हुए अब पहले सेमेस्टर से ही इसके बारे में बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए कि क्या होता है कोडिंग डिकोडिंग?