पृथ्वी पर जीव जंतुओं के विकास की एक लंबी कहानी है और इस कहानी का सार यह है कि धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं अपितु इस ब्रह्मांड में उपस्थित सभी जीव जंतुओं वनस्पतियों और करोड़ों प्रजातियों का भी उतना ही अधिकार है जितना हमारा। तो जिस प्रकार से हम अपने अधिकारों की रक्षा करते हैं उसके लिए कानून बनाते हैं, उसी प्रकार से पशु पक्षियों और जीव-जंतुओं के संरक्षण हेतु भी कुछ कानून बनाए गए हैं जिनका हम सभी को पालन करना चाहिए।
क्या है आर्द्रभूमि क्षेत्र ( वेटलैंड)?
नमीय दलदली भूमि वाले ऐसे क्षेत्र जहां भरपूर नमी पाई जाती है और वे दलदली भूमि होती हैं ऐसे स्थानों को वेटलैंड (आर्द्रभूमि क्षेत्र) भी कहा जाता है। वेटलैंड क्षेत्र जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है तथा यह क्षेत्र वर्ष भर आंशिक या पूर्ण रूप से जल से भरा रहता है।
यह वेटलैंड क्षेत्र ठंडे और शुष्क स्थानों से लेकर भारत के उष्णकटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के इलाकों तक फैले हुए हैं।
वेटलैंड्स का महत्व
जीव जंतुओं और वनस्पति को सुरक्षित करने की दृष्टि से यह दलदली क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है जहां पर विलुप्त होते पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को संरक्षित किया जाता है आइए जानते हैं कि क्या है वेटलैंड्स का महत्व
- वेटलैंड एक समृद्ध फूड वेब समृद्ध जैव विविधता का परिचायक है यही कारण है इसे बायोलॉजिकल सुपरमार्केट भी कहा जाता है
- वेटलैंड क्षेत्र सुपरमार्केट के जाने के कारण यह विस्तृत भोजी जाल अर्थात फूड वेब्स का निर्माण करते हैं।
- वेटलैंड तंत्र जल चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अशुद्धियों को निकाल देता है जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी करती है।
- दलदली क्षेत्र में जलीय चक्र प्रक्रिया चलती रहती है जो जल स्रोतों को शुद्ध रखने में सहायक है ।
- वेटलैंड क्षेत्र यानी दलदली क्षेत्रों को किडनी ऑफ द लैंडस्केप यानी भूदृश्य के गुर्दे भी कहा जाता है
- वेटलैंड क्षेत्र जंतु ही नहीं बल्कि पादपों की दृष्टि से भी एक समृद्ध तंत्र है जहां उपयोगी वनस्पतियां एवं औषधीय पौधे में प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
- दुनिया भर की तमाम बड़ी सभ्यताएं जलीय स्रोतों के निकट ही बस्ती आई हैं और आज भी वेटलैंड विश्व में भोजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- वेटलैंड के नजदीक रहने वाले ज्यादातर लोगों की जीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी पर निर्भर करती है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण योगदान
पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से वेटलैंड क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है यह क्षेत्र ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं जो बाढ़ के दौरान जल के आदि आधिक्य का अवशोषण करने में सहायक होते हैं। वर्ष के ज्यादातर महीनों में यह क्षेत्र पानी से भरे रहते है। जैव विविधता की दृष्टि से आद्र भूमि अत्यंत संवेदनशील होती हैं
इस तरीके से बाढ़ का पानी नदियों , तालाबों में एकत्र करके प्रयोग किया जाता है जिससे मानवी आवास जलमग्न होने से बच जाते हैं। के साथ में भूजल स्तर में वृद्धि वाह बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने के लिए भी यह क्षेत्र अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं और इस प्रकार से वेटलैंड पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका अदा करते हैं।
विश्व आर्द्रभूमि संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय प्रयास
विश्व आर्द्रभूमि को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संधियों के माध्यम से समझौता किया गया और पर्यावरण संरक्षण करने का प्रयास किया गया। इस लेख में हम जानेंगे रामसर कन्वेंशन रामसर कन्वेंशन के बारे में..
रामसर कन्वेंशन
रामसर वेटलैंड कन्वेंशन एक अंतर सरकारी संधि है जिसके माध्यम से संसाधनों के संरक्षण उनका बुद्धिमानी पूर्वक प्रयोग करने का सुझाव दिया गया । पर्यावरण को संरक्षित करना प्रत्येक देश का और वहां के नागरिकों का परम कर्तव्य है क्योंकि प्रकृति मात्र हमारी नहीं है बल्कि हम सब की है जो हमें जीवन प्रदान करती हैं हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हैं इसके अलावा हमें अन्य वस्तुएं जड़ी बूटियां भी प्रदान करते हैं।
रामसर कन्वेंशन पर अंतरराष्ट्रीय संधि
2 फरवरी 1971 को विश्व के विभिन्न देशों ने ईरान के रामसर में दुनिया के वेटलैंड के संरक्षण हेतु एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे इसलिए इस दिन विश्व रामसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के द्वारा इस संधि पर 1 फरवरी 1982 में हस्ताक्षर किए गए। यह संधि रामसर अभि- समय के नाम से विख्यात हुई। वर्ष 2015 के आंकड़ों के अनुसार अब तक 169 देश रामसर कन्वेंशन के प्रति अपनी सहमति दर्ज करा चुके हैं जिसमें भारत भी एक देश है। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 1997 में बनाया गया था।वर्तमान में 2200 से अधिक वेटलैंड है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड की रामसर सूची में शामिल किया गया है रामसर कन्वेंशन का प्रमुख उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान दिया जाना है।
2 फरवरी को पूरे विश्व में विश्व आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाता है गौरतलब है कि विश्व आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारी धरती के लिए आद्र भूमि की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है विश्व का सबसे बड़ा आद्र भूमि क्षेत्र बोलविया है । जो लगभग 148000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
रामसर कन्वेंशन का लक्ष्य
रामसर कन्वेंशन में यह तय किया गया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय विचार विमर्श किया जाएगा जिसमें सभी एक दूसरे को सहयोग करेंगे जिससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
वेटलैंड के संरक्षण जैसे संवेदनशील मामले में राज्य की सहभागिता बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसमें किसी भी कह का कोई भी समझौता न किया जाए इसके साथ ही इसमें पारिस्थितिकी तंत्र की प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी पर्यावरण मंत्रालय के हाथ में देनी चाहिए।
भारत में कुल रामसर साइट
वर्तमान में रामसर कन्वेंशन साइट के तहत भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 54 है। जो कि पहले संख्या 49 थी।
यह भी पढ़े:रामसर वेटलैंड स्थलों में भारत के पांच नए स्थल किए गए शामिल..