लाल बहादुर शास्त्री: दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 11 जनवरी को हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि थी । ये हमारे देश के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारत रत्न दिया गया था। इन्होंने अपने विनम्र स्वभाव मृदुभाषी व्यवहार एवं आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमित छाप छोड़ी।
महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक जी लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रेरणा स्रोत थे साथ ही दोस्तों हम आपको बता देना चाहते हैं कि देश की कई दशकों तक पूरे मन भाव से काम करने वाले लाल बहादुर शास्त्री को उनकी कार्यक्षमता, सत्य निष्ठा कर्तव्य परायणता और विनम्र स्वभाव हेतु आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। शास्त्री का अर्थ है –विद्वान‘ उनके नाम के साथ ये शब्द ‘शास्त्री‘ स्नातक उपाधि हासिल करने के बाद जुड़ा।
आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें
* लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1960 को मुगलसराय बिहार राज्य में हुआ था विदेश के दूसरे प्रधानमंत्री थे और पूर्व रेल मंत्री भी रह चुके हैं लाल बहादुर शास्त्री जब मात्र डेढ़ साल की उम्र में थे तभी उनके पिताजी का निधन हो गया था ।
* जब लाल बहादुर शास्त्री रेल मंत्री के पद पर थे तो उसी समय उनके कार्यकाल के दौरान एक ट्रेन दुर्घटना में बहुत सारे लोगों की जान चली गई थी जिससे भी इतनी द्रवित और दुखी हो गए थे कि दुर्घटना के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
* लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं उन्होंने एक बार प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए यह ऐलान किया था कि भीड़ भाड़ में अधिक समस्या हो जाने पर पुलिस अश्रु गैस छोड़ने वाला ठीक चार्ज करने के बजाय पानी के बौछारो का प्रयोग करें ताकि लोगों को कोई शारीरिक समस्या ना हो।
* अपने कार्यकाल के दौरान दूध का उत्पादन बढ़ाने हेतु एक राष्ट्रीय अभियान इन्होंने चलाया था जिसे श्वेत क्रांति के रूप में जाना जाता है। साथ ही उन्होंने एक नारा दिया- ‘जय जवान ,जय किसान’ जो आज भी प्रशंसनीय और प्रासंगिक है ।इसे ही आगे बढ़ाती हुए हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने एक नया शब्द जोड़ दिया विज्ञान और उन्होंने नारा दिया – ‘जय जवान, जय किसान ,जय विज्ञान’ उन्होंने उनके इस नारे को और भी ज्यादा सशक्त बना दिया।
* साल 1946 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब उन्हें उत्तर प्रदेश की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया थे उस समय मात्र 17 साल की उम्र में पहली बार असहयोग आंदोलन के दौरान जेल भी गए।