राष्ट्रीय भारतीय सेना दिवस
आज के दिन 15 जनवरी को प्रत्येक वर्ष भारत में राष्ट्रीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। सेना दिवस के अवसर पर पूरे देश में भारतीय थल सेना की वीरता उनके साहस शौर्य की कुर्बानी एवं उनके अदम्य बलिदान की दास्तां को बयान करता है यह सेना दिवस।
आज के दिन जगह-जगह भारतीय सेना दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं दिल्ली में सेना मुख्यालय के साथ-साथ देश के कोने कोने में शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है एवं उनकी उपलब्धियों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोगों को यह प्रेरणा दिया जाता है कि देखिए किस तरीके से हमारी सेना ने अपने बलिदान और शौर्य से देश की रक्षा में सहयोग किया है।
आइए जानते हैं कैसे शुरुआत हुई राष्ट्रीय सेना दिवस की
दोस्तों जैसा कि आपको सर्व विदित है कि भारत में हर वर्ष 15 जनवरी को लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा को इसके बाद भारत का प्रथम फील्ड मार्शल भी नियुक्त किया गया।
हमारे देश भारत में पहले कोई स्वतंत्रता नहीं थी जिसके कारण भारत ना तो स्वायत्त था और ना ही स्वतंत्र । इस कारण यहां पर कि कोई भी स्थाई सेना का प्रबंध नहीं था
परंतु हजारों आंदोलनों के बाद जब भारतीय एकता एवं सामंजस्य के पश्चात भारत स्वतंत्र हुआ तो यहां पर भारतीय नव सेना का गठन किया गया जिससे देश की रक्षा और सुरक्षा में सहयोग हो सके एवं भारत की सुरक्षा का बेड़ा भारतीय नौसेना ने उठाया। उस समय पहली बार सेना का गठन हुआ जिसमें जनरल करिअप्पा को स्वतंत्र भारत का प्रथम सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। जनरल करिआपा ने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेजी शीर्ष कमांडर जनरल राय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया।
इस दिन सैन्य परेड और सैनी प्रदर्शनी से संबंधित आधिकारिक कार्यक्रमों नई दिल्ली (सेना मुख्यालय) में आयोजित किए जाते है है साथ में अन्य विद्यालयों एवम् मुख्यालयों में सेना दिवस हमारे देश के वीर जवानों के त्याग और बलिदान के रूप में इसे हर्षोल्लास के साथ में मनाया जाता है इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
जाने क्या है इसका इतिहास एवं महत्व
दोस्तों जैसा कि आपको सर्वविदित है कि 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तब देश भर में व्याप्त दंगे फसादों तथा शरणार्थियों की आवागमन के कारण भारत में काफी उथल पुथल का माहौल था इस कारण कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी तत्पश्चात स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय सेना को आगे आना पड़ा इसके पश्चात एक एक विशेष भारतीय सेना कमांड का गठन किया गया ताकि इन समस्याओं को रोका जा सके एवं भारत में शांति व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके परंतु भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही निवासी हुआ करते थे।
जिसके कारण भी ज्यादातर अपने हित के बारे में ही सोचते थे एवं भारत में रहकर भी भारतीयों के लिए कम विचार विमर्श करते थे नियम तो भारत के लिए बनते थे परंतु उन्हें लागू ब्रिटिश के लिए ही किया जाता था जिसके कारण भारतीय में असंतोष व्याप्त था इन समस्याओं को दूर करने के लिए भारतीयों ने यह निर्णय लिया कि भारतीय सेना में सेना प्रमुख किसी भारतीय को ही नियुक्त किया जाए तत्पश्चात इस बात पर चर्चा कुछ भारतीय विद्वानों के बीच हुई एवं इस चर्चा को ब्रिटिश मूल के अधिकारियों के समक्ष रखा गया उस समय का यह स्थिति चल रही थी कि भारत में संविधान निर्माण सर्वोच्च पर था एवं लगभग संविधान का निर्माण हो चुका था जैसा कि आपको ज्ञात है कि भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था अर्थात इस दिन हमारा भारत गणतंत्र घोषित हुआ था मात्र 1 वर्ष पहले ही भारतीय सेना का गठन हुआ एवं भारत में नए भारतीय सेना प्रमुख नियुक्त किए गए।
15 जुलाई 1949 को फील्ड मार्शल k.m. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बनाए गए उस भारतीय सेना में लगभग 200000 सैनिक थे उनसे पहले यह पद कमांडर जनरल फ्रांसिस बूचर के पास था उसके बाद प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को भारत में सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है यह भारत के ऐसे प्रथम सेना प्रमुख थे जिन्होने फील्ड मार्शल की उपाधि धारण भी प्राप्त की थी। उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था।
आज के दिन आयोजित कार्यक्रम
आज के दिन अर्थात सेना दिवस के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में परेड निकाली जाती है जिस की सलामी थल सेना अध्यक्ष लेते हैं।
वर्तमान में भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने है । आज 15 जनवरी 2022 में भारत में 74वां सेना दिवस मनाया गया है जिसमें परेड की सलामी वर्तमान सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने की है।