Close Menu
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
Facebook X (Twitter) Instagram
  • About
  • Contact
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Facebook X (Twitter) Instagram
India MitraIndia Mitra
Download Our App
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
India MitraIndia Mitra
Home»culture»भारत के कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य
culture

भारत के कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य

By Sarkar DwivediUpdated:May 3, 2022
Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Share
Facebook WhatsApp Twitter Telegram LinkedIn Pinterest Email

भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य को डांस फॉर्म्स ऑफ़ इंडिया के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। भारत में नृत्य और संगीत की बहुत समृद्ध संस्कृति है।  पारंपरिक, शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य शैलियाँ भारत के अतुल्य पारंपरिक नृत्यों की एक अद्भुत छवि को उजागर करती है. भारत के शास्त्रीय नृत्य में भरतनाट्यम, देश में शास्त्रीय नृत्य का सबसे पुराना रूप और भारत में सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य है तथा प्राचीन नाट्य शास्त्र में भी शामिल है।भारत में नृत्यों को दो भागों के विभाजित किया जाता है

  1. शास्त्रीय नृत्य
  2. लोक नृत्य

हमारे देश भारत में शास्त्रीय नृत्य एवं लोक नृत्य के कई रूप इसलिए थे क्योंकि ये प्रत्येक देश के विभिन्न भागों में प्रचलित संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते है।

शास्त्रीय नृत्य के प्रकार

भरतनाट्यम – तमिलनाडु

शास्त्रीय भारतीय नृत्य भरतनाट्यम की उत्पत्ति दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के मंदिरो की नर्तकियों की कला से हुई। 

भरतनाट्यम की प्रस्तुति

भरतनाट्यम भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है या नृत्य भारत के तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य में बहुत प्रसिद्ध है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस शैली का नाम भारत के नाट्य शास्त्र से लिया गया है जबकि कुछ अन्य विद्वानों ऐसा मानते हैं कि यह भ,र,त तीनों स्वरों के मेल से बना है जहां भ का मतलब भाव र का मतलब राग और त मतलब ताल से है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह नृत्य भाव राग और ताल का एक सामंजस्य पूर्ण नृत्य है तमिलनाडु में देवदासियो द्वारा विकसित व प्रसारित इस शैली को सबसे प्राचीन नित्य माना जाता है।

कुछ समय के लिए इस नृत्य को देवदास यू के कारण उचित स्थान नहीं मिल पाया परंतु बीसवीं शताब्दी मैं इसे सर्वश्रेष्ठ स्थान प्रदान किया गया

भरतनाट्यम के प्रमुख कलाकार कृष्णा अय्यर और रुक्मणी देवी हैं।

शारीरिक प्रक्रिया को समभंग,अभंग तथा त्रिभंग तीन भागों में इस नृत्य में बांटा जाता है।

कुचीपुड़ी –आंध्र प्रदेश

यह नृत्य शैली आंध्र प्रदेश के कुचिलपुरा गांव के नाम पर इस नृत्य का नाम कुचिपुड़ी रखा गया कुचिपुड़ी दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों के विभिन्न नृत्य में से एक है । वस्तुतः नृत्य गीत कविता व नृत्य के साथ रचित कुछ कला है।

इसमें तीन प्रकार की नृत्य हैं–

नर्त– रसहीन नृत्य

नृत्य – कल्पना अनुसार नृत्य

नाट्य – अभिनययुक्त नृत्य

कुचिपुड़ी नृत्य

विजय नगर, गोलकुंडा के राजा इस प्रकार के नेतृत्व में ज्यादा रुचि लेते थे इन परिवारों के गुरु ने इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखा । बाल सरस्वती और रागिनी देवी ने इसे लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मूल रूप से पुरुषों की नृत्य शैली को कई नृत्यगनाओ ने अपनाया और प्रसिद्धि के शिखर तक पहुंचाया। किस नृत्य में आंगिक वाचिक, आहार्य तथा लास्या का समावेश रहता है।

कुचिपुड़ी नृत्य के विशेष कलाकार

  • यामिनी कृष्णमूर्ति
  • स्वप्न सुंदरी नायडू
  • राधा रेड्डी
  • वेमपति चिन्ना

उड़ीसी- उड़ीसा

सांस्कृतिक इतिहासकारों का मानना है कि उड़ीसा में प्राचीन अवशेष मौजूद हैं बौद्ध एवं जैन युग के बने उदयगिरि खंडगिरि जैन प्रस्तर आदि स्थानों में अनेक शिलालेख गुफा चित्र में उपलब्ध हैं। इसके अलावा भुवनेश्वर व वेंकटेश मंदिर पुरी के जगन्नाथ जी का मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर में भी प्राप्त जानकारी से प्रमाणित होता है की सभी धार्मिक स्थल ही नहीं है अपितु कला ,साहित्य ,संगीत नृत्य के केंद्र भी रहे थे।

उड़िसी नृत्य

यह भारत में सबसे पुराना जीवित नृत्य रूप है, जो उड़ीसा राज्य से निकलता है। ओडिसी नृत्य रूप अपनी शैली, सिर, छाती और श्रोणि के स्वतंत्र आंदोलन के लिए जाना जाता है। सुंदर ओडिसी नृत्य पारंपरिक और प्राचीन शैली का नृत्य मंदिरों में किया जाता है।

कथकली – केरल

केरल के मंदिरों में पल्लवित एवं पुष्पित इस नृत्य शैली के प्रेरणा स्रोत लोग नाटक रहे हैं। कथकली दो शब्दों के मेल से बनाया कथा और कली । ऐसा माना जाता है। मौलिक रूप से पुरुषों का नृत्य है रागिनी देवी ने इस नित्य में एकाधिकार को तोड़ते हुए नृत्य सीखा और प्रदर्शन किए ।बाद में मृणालिनी साराभाई ,कनक ,रीता गांगुली आदि ने भी इसमें भाग लिया।

कथकली कथा के समान ना तो दरबारी है और ना ही भारतनाट्यम के समान एक और ना ही मणिपुरी के समान कविताएं है। इसमें तांडव भाव अधिक रहता है तथा इसमें शारीरिक अंगों का जिस प्रकार प्रयोग किया जाता है वैसा अन्य किसी में नहीं किया जाता है क्योंकि इसमें भाव प्रदर्शन के लिए आंखों पुतलियों का प्रयोग किया जाता है इस नृत्य के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है अलग-अलग मानचित्र के होते हैं ।

कथकली शास्त्रीय नृत्य अच्छी तरह से प्रशिक्षित कलाकार द्वारा प्रस्तुत सबसे अधिक आकर्षित करने वाले शास्त्रीय भारतीय नृत्य-नाटक में से एक है। कथकली की उत्पत्ति केरल में 17 वीं शताब्दी में हुई थी और यह भारत के हर कोने में लोकप्रिय हुआ। इस नृत्य मे आकर्षक सौंदर्य, विस्तृत हावभाव और पार्श्व संगीत के साथ पात्रों की विस्तृत वेशभूषा देखने लायक होती है!

कथक – उत्तर प्रदेश

कत्थक भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है कत्थक शब्द तथा से उत्पन्न हुआ है जिसका तात्पर्य है कहानी कहने की कला हिंदू या मुस्लिम दोनों धर्म में कत्थक मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है उत्तर प्रदेश की धरती पर इस नृत्य की उत्पत्ति ब्रजभूमि की रासलीला से हुई है कत्थक की चर्चा घरानों के बिना अधूरी है जैसे लखनऊ घराना जयपुर घराना रायगढ़ घराना इसमें से सबसे प्रसिद्ध

है नवाब साहब स्वयं ठाकुर प्रसाद से लिखा करते थे। ठाकुर प्रसाद के तीन पुत्रों – बिंदादीन महाराज ,कालका प्रसाद , संभू महराज । भैरव प्रसाद ने अपने पिता व पितामह की परंपरा को बनाए रखा कालका प्रसाद के 3 पुत्र हुए- अच्छन महाराज ,लच्छू महाराज तथा शंभू महाराज उन्होंने भी इस कत्थक की पारिवारिक शैली को आगे बनाए रखा। अच्छन महाराज के पुत्र बिरजू महाराज ने कथा की शैली को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी इस नृत्य में भाव अभिनय, रस की प्रधानता होती होती है।

कथक शास्त्रीय नृत्य की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश से हुई है और यह भारत के प्राचीन शास्त्रीय नृत्यों के आठ रूपों में से एक है। प्रसिद्ध कथक नृत्य कथा या कथावाचकों से लिया जाता है, जो लोग कथक नृत्य की पूरी कला के दौरान कहानियाँ सुनाते हैं।

मोहिनीअट्टम – केरल

मोहिनीअट्टम केरल का एक शास्त्री नृत्य है। मोहिनीअट्टम दो शब्दों से मिलकर बना है मोहिनी एवं अट्टम

जिसमे मोहिनी शब्द से तात्पर्य सुंदर नारी और अट्टम शब्द से तात्पर्य है नृत्य है। इस प्रकार मोहिनीअट्टम का तात्पर्य सुंदर नारी का ।

भारत में शास्त्रीय नृत्य और कला प्रदर्शन की अनगिनत संख्या है, संगीत नाटक अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त भारत के आठ प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य के अलावा कुछ और भारत के शास्त्रीय नृत्यो के नाम है – यक्षगान जो की कर्णाटक प्रदेश की एक संप्रदायिक नाटक और नृत्य शैली है, छाऊ या ‘छऊ’ नृत्य नाटिका है, जो पश्चिम बंगाल और बिहार मे जाना जाता है, रासलीला, पढ़यनि, श्रीमद् भागवत कथा और गौरिया नृत्य.

Like this:

Like Loading...

Related

Share. Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Previous Articleएक कदम: स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना ने गोमती नदी की तलहटी में की 2 घण्टे तक लगातार सफाई
Next Article यूपीएससी के नए चेयरमैन बने मनोज सोनी :जाने उनके जीवन की संघर्ष भरी कहानी
Sarkar Dwivedi
  • Website
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • Pinterest
  • Instagram

Sarkar Dwivedi: CEO & Founder At India's Biggest Startup Consulting Website • Editor At India Mitra • Digital Entrepreneur • Author • Join Us On Our Social Media

लेटेस्ट स्टोरीज

AI और डिजिटल स्किल्स से युवाओं को नया पंख

July 16, 2025

नारी शक्ति की प्रतीक : अहिल्याबाई होल्कर

May 31, 2025

जाने क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा?, और कौन थे महात्मा बुद्ध

May 12, 2025

चिकन पॉक्स कारण लक्षण और रोकथाम

May 5, 2025
उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री  ने तीन दिवसीय  ‘विकास उत्सव’ की करी शुरुआत

March 26, 2025

जाने कब , किस दिन और कैसे हुई उत्तर प्रदेश की स्थापना: 24 जनवरी 2025 …

January 24, 2025

मुख्यमंत्री 24 जनवरी को शुरू करेंगे उद्यमी विकास योजना, जुड़ेंगे 25000 युवा, जाने से इस योजना का उद्देश्य….

January 19, 2025

जाने पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति के लिए आवेदन की अंतिम तिथि…

January 18, 2025
सरकारी योजनाये

आयुष्मान भारत मिशन क्या है, आयुष्मान कार्ड कैसे बनवाये

August 24, 2023

क्या आप जानते हैं?.. क्या है उत्तर प्रदेश सरकार की ” परिवार कल्याण कार्ड योजना”

August 25, 2022

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज व आवेदन की प्रक्रिया

May 4, 2022

उत्तर प्रदेश विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना 2022

May 4, 2022

News

  • World
  • US Politics
  • EU Politics
  • Business
  • Opinions
  • Connections
  • Science

Company

  • Information
  • Advertising
  • Classified Ads
  • Contact Info
  • Do Not Sell Data
  • GDPR Policy
  • Media Kits

Services

  • Subscriptions
  • Customer Support
  • Bulk Packages
  • Newsletters
  • Sponsored News
  • Work With Us

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

© 2025 India Mitra | All Rights Reserved. Designed by RG Marketing.
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

%d