26 जनवरी के प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस मनाया जाता है इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस दिन प्रत्येक देशवासी 26 जनवरी (26 January) को पूरे जोश के साथ गणतंत्र दिवस मनाता है। इस साल देश अपना 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाएगा। इस खास मौके पर हर साल इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ पर भव्य परेड भी होती है। इस परेड में भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना आदि की विभिन्न रेजिमेंट हिस्सा लेती हैं। शायद आपके मन में ये सवाल आता होगा कि आखिर गणतंत्र दिवस हम 26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं, किसी दूसरे दिन क्यों नहीं। इसके पीछे बहुत ही रोचक इतिहास है।आईए जानते हैं इसके पीछे का इतिहास
जानें 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया संविधान
26 जनवरी 1950 में इस दिन संविधान लागू किया गया था, जिसके कई कारण थे। देश स्वतंत्र होने के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान अपनाया था। वहीं, 26 जनवरी 1950 को संविधान को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि सन् 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की पूरी तरह से आजादी की घोषणा की थी।
इस 74वें गणतंत्र दिवस पर इमैनुएल मैक्रों होंगे मुख्य अतिथि
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आ रहे हैं फ्रांस के उपराष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उनका प्लेन गुरुवार दोपहर 2:30 बजे जयपुर एयरपोर्ट पर उतरा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5:30 बजे इमानुएल में ग्रहण का स्वागत किया। इस गणतंत्र दिवस पर माइक्रो गणतंत्र दिवस की परेड में बताओ और चीफ गेस्ट शामिल होंगे परेड में फ्रांस का 95 सदस्य मार्चिंग दस्ता और 33 सदस्य वाला बंद भी शामिल होगा। इस दिन वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज में भी शामिल होंगे। इसके बाद रात 10:00 बजे इमैनुएल मैक्रोंन दिल्ली में फ्रांस के लिए रवाना हो जाएंगे। हम आपको बता दें कि पीएम मोदी बीते साल 14 जुलाई को फ्रांस के बैरल डे परेड में बतौर चीफ गेस्ट शरीफ हुए थे।
परेड की तैयारी सुबह 3:30 बजे से होगी
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड सुबह 10:30 बजे शुरू होगी लेकिन इसकी तैयारी सुबह 3:30 बजे से शुरू हो जाएगी कर्तव्य पथ पर जब आप अलग-अलग दस्तो का मार्च करते देखेंगे। जिसमे ज्यादातर के हाथ में राइफल्स भी होती है साथ ही सेना के कई हथियार सिस्टम भी मर्चिंग दस्तो के साथ मार्च करते हैं।