कहते है जहाँ चाह है वहां राह है, बहुत सी ऐसी कहानियां आपने पढ़ी होगी जहाँ लोगों ने बिना साधन बड़े लक्ष्य हासिल किये है, लेकिन ये कहानी कुछ अलग है और प्रेरणादायक है।
देश की राजधानी दिल्ली से सात सौ किलोमीटर दूर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 70 किलोमीटर दूर जनपद सीतापुर का मिश्रिख क्षेत्र धार्मिक और ए
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्व स्थान व् मह्रिषी दधिची की तपोस्थली है , इस क्षेत्र में अधिकाश एससी एसटी और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या आज भी अधिक है।
मिश्रिख क्षेत्र के खेवटा रामपुर गाँव के निवासी वयोवृद्ध राम पाल बताते है “सन 1986 के आस पास की बात है गाँव में सिर्फ महिलाओं में फूलमती देवी को ही हस्ताक्षर बनाना और हिंदी की किताब पढना आता था , गाँव में कोई विद्यालय नहीं था जो थे वो दूर थे लड़कियों को एक तरह से उस जमाने में पढ़ाना जरुरी नहीं समझा जाता था , उस समय फूलमती देवी ने महिलाओं और लड़कियों को अक्षर पहचानना ,हिंदी की किताब पढना और हस्ताक्षर करना सिखाने की शुरुआत की , शुरू-शुरू में लोग ने फूलमती को अनपढ़ मास्टर कहके मजाक बनाया लेकिन फूलमती बिना किसी की परवाह किये अपने काम में लगी रही, साल भर में करीब करीब ६० महिलाओं लड़कियों को अक्षर ज्ञान मिला और फूलमती गाँव और अगल-बगल के गाँव के लिए फूलमती दीदी बन गयी, खेती किसानी से बचे खाली समय में लालटेन की रौशनी में फूलमती की पाठशाला चलती रही , फूलमती की पहल रंग भी लायी और लोग अपनी लड़कियों को बेहिचक फूलमती की पाठशाला में भेजते रहें लेकिन ये प्रयाप्त नहीं था, फूलमती ने लड़कियों को पढाई के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया , फूलमती का सपना एक स्कूल बनाने का था लेकिन शिक्षा और पैसों के अभाव में फूलमती देवी का ये सपना पूरा नहीं हो सका और साल 2000 में चौदह वर्षों तक निरंतर शिक्षा की अलख जगाने वाली फूलमती देवी का निधन हो गया।
ग्रामीणों और फूलमती देवी के परिवार के सदस्यों ने फूलमती देवी की इस मुहीम को जिन्दा बनाये रखा और एक छप्पर के नीचे फूलमती देवी की पाठशाला निरंतर जारी रही , साल २००९ में ग्रामीणों और फूलमती देवी के परिवार के सदस्यों ने जनसहयोग से स्व. फूलमती देवी पब्लिक स्कूल की स्थापना की , व् विद्यालय के नाम चार बीघे जमीन दान किया , फूलमती देवी पब्लिक स्कूल के निर्माण में पाठशाला के बच्चे जो अब बड़े हो चुके थे सबने श्रमदान और आर्थिक सहयोग दिया जिससे धीरे धीरे पांच कमरे के एक स्कूल का निर्माण हुआ और आज यह विद्यालय कक्षा 8 तक मान्यता प्राप्त विद्यालय के रूप में कार्य कर रहा हैI
विद्यालय के प्रबंधक पुष्कर सिंह बताते है प्रतिवर्ष इस विद्यालय से पांच सौ से सात सौ बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है लेकिन आज भी इस क्षेत्र की अधिकांश लडकिया कक्षा ८ के आगे की शिक्षा नहीं प्राप्त कर पा रही है जिसकी वजह ये है की हमारे क्षेत्र में इंटर कालेज नहीं है , हम लोग प्रयास कर रहें ही की विद्यालय की इंटर तक मान्यता हो जाए लेकिन अभी हमारे पास बोर्ड के नियमों के मुताबिक कमरों की संख्या कम है।
पुष्कर आगे बताते है , “ इस क्षेत्र को गांजर क्षेत्र कहाँ जाता है यहाँ आज भी सुविधाओं का बहुत अभाव है , स्कूल में ली जाने वाली न्यूनतम फीस भी किसान फसल की कटाई के बाद ही मुश्किल से दे पाते है ऐसे में अगर हम फीस बढ़ा दे तो ये गरीब ग्रामीण बच्चें पढाई से वंचित हो जायेंगे , कम्प्यूटर शिक्षा और अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से आज भी इस क्षेत्र के लोग वंचित है , जनसहयोग और निजी साधनों से जितना बेहतर हो सकता है किया जा रहा रहा है।
स्व.फूलमती देवी की प्रेरणा से विद्यालय आज जिस भी स्थिति में है ये हमारे लिए बहुत बड़ी सफलता है , और उन्होंने बिना पैसे , बिना शिक्षा जो मुहीम शुरू की थी ये हमें हमेशा आत्मबल और प्रेरणा देता रहता है मुझे विश्वास है की एक दिन स्व. फूलमती देवी पब्लिक स्कूल में हर वो सुविधा ग्रामीण बच्चों के लिए जरुर होगी जिनसे इनका जीवन स्तर सुधर सके और माँ फूलमती देवी का देखा सपना साकार होता रहे।
पुष्कर बताते है , “ वर्तमान समय में फूलमती देवी पब्लिक स्कूल में आसपास के लगभग 40 गाँव के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहें है इस सत्र में भी लगभग 600 बच्च्चे अब तक आ चुके है “
क्षेत्रीय निवासी हैदर बताते है आज भी गांजर क्षेत्र के लोग फूलमती देवी का नाम सम्मान से लिया जाता है उन्ही की प्रेरणा के चलते छोटा ही सही एक विद्यालय हमारे क्षेत्र में है जहाँ ग्रामीण और किसानो के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर प् रहें है और विद्यालय में पढाई का स्तर भी काफी अच्छा हैI