राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था।भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। (Source:Wikipedia)
राजा राम मोहनराय का जन्म 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर गांव में हुआ था । इनके पिता का नाम रामकांत राय वैष्णव था। उनकी माता का नाम तारिणी देवी था। राजा राममोहन राय ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव में हासिल की थी। इनके पिता ने राजा राममोहन की शिक्षा के लिए उन्हें पटना भेज दिया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
राजा राममोहन राय के अनमोल विचार -:
- यह व्यापक विशाल विश्वब्रह्म का पवित्र मन्दिर है, शुद्ध शास्त्र है. श्रद्धा ही धर्म का मूल है, प्रेम ही परम साधन है. स्वार्थों का त्याग ही वैराग्य है।
- हमारे समाज के लोग यह समझते हैं कि नदी में नहाने से, पीपल की पूजा करने से और पण्डित को दान करने से हमारे पाप धुल जाएँगे. जो ऐसा समझते हैं, वे भूल कर रहे हैं. उन्हें नदी में स्नान करने से कभी मुक्ति मिल सकती. वे अंधविश्वास के अँधेरे में भटक रहे हैं।
- ईश्वर केवल एक है. उसका कोई अंत नहीं सभी जीवित वस्तुओं में परमात्मा का अस्तित्व है।
- प्रत्येक स्त्री को पुरूषों की तरह अधिकार प्राप्त हो, क्योंकि स्त्री ही पुरूष की जननी है. हमें हर हाल में स्त्री का सम्मान करना चाहिए।
- यदि मानव जाति किसी के द्वारा थोपे गए विचारों पर ध्यान न दे और अपने तर्क से सत्य का अनुसरण करे, तो उसकी उन्नति को कोई रोक नहीं सकता. प्रत्येक भेदभाव को मिटा कर प्रगति की राह पर अग्रसर हो सकता है।
- किसी भी धर्म का ग्रन्थ पढने से जाति भ्रष्ट होने का प्रश्न ही नहीं उठता. मैंने तो कई बार बाइबिल और कुरानेशरीफ को पढ़ा है. मै न तो ईसाई बना और न ही मुसलमान बना. बहुत से यूरोपियन गीता और रामायण पढ़ते हैं, वे तो हिंदू नहीं हुए।
- विचलित करने वाले अन्धविश्वासी हैं, धर्माध हैं, वे पूरे समाज में अन्धकार फैलाना चाहते हैं।
- समाचार- पत्रों को पिछड़ी जातियों तक पहुंचाया जाए, जिससे कि वे ज्ञान के प्रकाश से सराबोर हो सके।
- हिन्दी में अखिल भारतीय भाषा बनने की क्षमता है।
- मैं हिन्दू धर्म का नहीं, उसमें व्याप्त कुरीतियों का विरोधी हूं।