सरदार वल्लभ भाई पटेल एक, भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल , सरदार पटेल के नाम से बहुत लोकप्रिय थे। और वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने सबसे पहले भारत में उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1947 की भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान गृहमंत्री का कार्य किया। भारत और अन्य जगहों पर उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू, फारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है कि – “प्रमुख”।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय
भारत के लौह पुरुष , सरदार वल्लभभाई पटेल, इनका जन्म 31 अक्तूबर 1875, नडियाद में हुआ था। उनके पिताजी का नाम झवेरभाई पटेल था। उनके पिता एक साधारण किसान थे, उनकी माता का नाम लाडबा देवी पटेल था, वो एक साधारण महिला थी। उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी,पर फिर भी उनके पिता ने उन्हें कॉलेज भेजने को निर्णय लिया था, परंतु
वल्लभभाई पटेल जी ने कॉलेज जाने से इंकार कर दिया।
वल्लभभाई पटेल जी ने कॉलेज जाने से इंकार कर दिया।
सरदार वल्लभभाई पटेल की शिक्षा
वल्लभभाई ने करमसाद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद में हाई स्कूल की पढ़ाई की थी। वल्लभभाई पटेल जी को अपनी स्कूली शिक्षा को प्राप्त करने में काफी ज्यादा समय लगा था, और आप लोगों को बता दें कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने 22 साल की उम्र में कक्षा दसवीं को पास किया था। 1910 के अगस्त में वल्लभभाई पटेल अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए लंदन में चले गए।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार
- इस मिट्टी में कुछ खास बात है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास बना रहा है।
- भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।
- हर भारतीय को अब भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत, एक सिख या जाट है। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसके पास अपने देश में हर अधिकार है लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ।
- मेरी एकमात्र इच्छा यह है कि भारत एक अच्छा आत्मनिर्भर देश हो और कोई भी भूखा न रहे, देश में भोजन के लिए कोई भी आंसू बहाए।
- आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है, इसलिए अपनी आँखों को गुस्से से लाल होने दें, और अन्याय के साथ मजबूती से लड़ने की कोशिश करें।
- सत्याग्रह पर आधारित युद्ध हमेशा दो तरह के होते हैं। एक वह युद्ध है जिसे हम अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं, और दूसरा हम अपनी कमजोरियों से लड़ते हैं।
- आज हमें उच्च और नीच, अमीर और गरीब, जाति या पंथ के भेदों को दूर करना चाहिए।
- जाति, समुदाय तेजी से गायब हो जाएगा, हमें इन सभी चीजों को तेजी से भूलना होगा, इस तरह की सीमाएं हमारे विकास में बाधा बनती हैं।
- हमें एक दूसरे की टांग खींचना छोड़ना होगा, ऊंच-नीच होने का अंतर छोड़ना, समानता की भावना विकसित करनी होगी और अस्पृश्यता को खत्म करना होगा। हमें ब्रिटिश शासन से पहले की स्वराज की परिस्थितियों को बहाल करना होगा,हमें एक ही पिता के बच्चों की तरह जीना है।
- मित्रहीन का मित्र बनना मेरे स्वभाव में है।