यदि आपका बच्चा भी दिन में 5 से 6 घंटे मोबाइल का प्रयोग करता है,तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि उसके लिए अत्यंत हानिकारक है। ज्यादा मोबाइल चलाने से बच्चे का दिमागी संतुलन सही नहीं रहता है। यदि आपका बच्चा खेलने में रुचि नहीं लेता है,आउटडोर गेम नहीं खेलता है, उसका पढ़ाई में कम मन लगता है और ज्यादा बातचीत करने में भी रुचि नहीं लेता है। तो समझ लीजिए कि आपका बच्चा दिमाग की विकास से जुड़ी बीमारी ऑटिज्म का शिकार हो सकता है।
हम आपको बता दें, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की घोषणा की थी। ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है। इसमें बच्चा अपनी ही धुन में रहता और जीता है। यह एक प्रकार से दिमाग के डवलपमेंट के दौरान होने वाला विकार है। डॉक्टर्स के मुताबिक, यदि बच्चा ज्यादा मोबाइल चलाता है तो बच्चे में ऑटिज़्म के लक्षण तीन साल की उम्र में ही नजर आने लगते हैं।
ऑटिज्म के लक्षण…
ऐसे बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की मुताबिक काफी अलग होता है। इससे बच्चे का सामाजिक व्यवहार प्रभावित होता है।ऑटिज़्म के शिकार बच्चे एक ही काम को बार-बार दोहराते हैं।कई बच्चों में एक डर सा दिखाई देता है तो कुछ बच्चे जल्दी से प्रतिक्रिया नहीं देते है।
नहीं है कोई ऑटिज्म की दवा…
ऑटिज्म शिकार बच्चों के लिए अभी तक कोई भी दवा नहीं बनी है इसके लिए बस इतना ही किया जा सकता है कि अपने बच्चे को मोबाइल से दूर रखें उन्हें ज्यादा से ज्यादा आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें ताकि उनका दिमागी संतुलन सही रहे और शरीर एक्टिव रहे।
आवश्यक सुझाव..
साइकेट्रिस्ट के अनुसार ऐसे बच्चों की ओपीडी में थेरेपी की जाती है। थेरेपी से काफी हद तक बीमारी में सुधार आता है लेकिन मोबाइल की लत जिनमें नहीं छूटती है उनमें सुधार जल्दी नहीं हो पता है ।
इसके लिए आवश्यक है कि मां बाप अपने बच्चों पर विशेष नजर रखें, और सावधान रहें ताकि उनका बच्चा ज्यादा मोबाइल चलाने के कारण ऑटिज्म जैसी बीमारी का शिकार ना हो। इसलिए हम अभिभावकों को यही सलाह देते हैं कि अपने बच्चे को कम से कम मोबाइल दे और जहां तक प्रयास हो सके अपने बच्चे को मोबाइल ना ही दें तो ज्यादा अच्छा होगा।