लखनऊ के रहने वाले आदित्य श्रीवास्तव ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला स्थान हासिल करके राजधानी का नाम रोशन किया है। आदित्य श्रीवास्तव इस समय अंडर ट्रेनी आईपीएस ऑफिसर के रूप में हैदराबाद में तैनात हैं। रिजल्ट जारी होते ही एल्डिको आईआईएम रोड स्थित उनके आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।
आदित्य ने निजी कंपनियों में नौकरी करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। पहली बार प्रारंभिक परीक्षा में सफलता नहीं मिली। पिछली परीक्षा में 236वीं रैंक के साथ आईपीएस के रूप में चयनित होने के बाद अब आईएएस बनने में सफलता हासिल की है।
आदित्य श्रीवास्तव की पृष्ठभूमि
देश की सबसे बड़ी परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी एग्जाम में लखनऊ के रहने वाले आदित्य श्रीवास्तव ने प्रथम रैंक हासिल की है। कहते हैं मेहनत किसी की मोहताज नहीं होती ऐसे ही आदित्य ने भी अपनी मेहनत के बल पर देश का नाम रोशन इस परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया है। आदित्य श्रीवास्तव के पिता कहते हैं कि उनको अपने बेटे पर गर्व है।
आदित्य के पिता अजय श्रीवास्तव सेंट्रल ऑडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार के पद पर कार्यरत हैं। उनकी मां आभा श्रीवास्तव गृहिणी, दादा शिवराम श्रीवास्तव आईटीआई से सेवानिवृत्त और छोटी बहन प्रियांशी नई दिल्ली में सिविल परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। सीएमएस अलीगंज से12वीं पास करने के बाद आदित्य ने आईआईटी कानपुर से बीटेक एवं एमटेक किया
बधाई देने वालों को लग गया तांता
आदित्य श्रीवास्तव के पिता सेंट्रल ऑडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार के पद पर कार्यरत है । उनका नाम अजय श्रीवास्तव है। अजय श्रीवास्तव और उनकी पत्नी मां आभा श्रीवास्तव मंगलवार दोपहर घर पर ही थे। इसी बीच अचानक हैदराबाद में ट्रेनी आईपीएस के रूप में तैनात उनके बेटे आदित्य की वीडियो कॉल आई। बेटे की कॉल देखकर मां-पिता दोनों उत्साह से भर गए। बेटे ने जैसे ही उनको देखा तो बोला- ….पापा कुछ ज्यादा ही हो गया, शायद पहली रैंक आ गई। इतना सुनते ही दोनों पति-पत्नी की आंखों में आंसू आ गए।
बचपन से ही पढ़ाई में था अव्वल
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि बेटा हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था। एक बार जो ठान लेता है तो पूरा करके ही मानता है। आदित्य को क्रिकेट खेलना पसंद है और डायनासोर में रुचि है। आदित्य की मां के मामा विनोद कुमार ट्रेनिंग एकेडमी मसूरी के डायरेक्टर रहे हैं। उन्हीं से आदित्य को आईएएस बनने की प्रेरणा ली। इसलिए बीटेक करने के बाद उसने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। पहली बार प्री परीक्षा में सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और पिछली बार 236वीं रैंक हासिल की। इसके बाद वह आईपीएस की ट्रेनिंग करने लगा।