भ्रामरी का अर्थ है –भवँरे का गुंजन । इस प्राणायाम में रेचक करते समय भ्रमर के समान गुंजन की आवाज निकलती है इसलिए इसे मधुमक्खी श्वास भी कहा जा सकता है। भ्रामरी (बी ब्रीथ) ध्यान के लिए एक प्रभावी प्राणायाम (श्वास व्यायाम) है। भ्रामरी प्राणायाम थकान और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इस तकनीक में सांस छोड़ने की आवाज मधुमक्खी के गुंजन की आवाज के समान होती है, इसलिए इस प्राणायाम को भ्रामरी कहते है ।
इस प्राणायाम में सांस पूरा अंदर भरकर मध्यमा अंगुलियों से नासिका के मूल में आंख के पास से दोनों ओर से थोड़ा दबाये, अंगूठा के द्वारा दोनों कानो को पूरा बंद कर ले। अब भ्रमर की भांति गुंजन करते हुए नाद रूप में ॐम का उच्चारण करते हुए श्वास को बाहर छोड़ दे ।
इस प्रकार इस प्राणायाम को कम से कम तीन बार अवश्य दोहराना चाहिये ।
क्या है रेचक ?
प्राणायाम की एक क्रिया; खींची हुई साँस को विधिपूर्वक बाहर निकालने की क्रिया ।
भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका…
![](https://i0.wp.com/indiamitra.com/wp-content/uploads/2023/03/images-19.jpeg?resize=674%2C455&ssl=1)
- मध्यमा उंगली मेडियल कैन्थस पर और अनामिका आपके नथुने के कोने पर होनी चाहिए।
- श्वास लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें।
- जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, धीरे-धीरे मधुमक्खी की तरह एक भनभनाहट की आवाज़ करें, यानी ”मम्मम्मम।”
- अपना मुंह पूरे समय बंद रखें और महसूस करें कि ध्वनि का कंपन आपके पूरे शरीर में फैल रहा हो।
- किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें।
- अपनी पीठ को सीधा करें और आंखें बंद करें।
- हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें (प्राप्ति मुद्रा में), अपने अंगूठे को ट्रैगस पर रखें।
- आपकी तर्जनी को आपके माथे पर रखा जाना चाहिए
समयावधि
पूर्व की ओर मुख करें। आप इस श्वास तकनीक का अभ्यास दिन में पांच मिनट के लिए शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे इसे समय के साथ बढ़ा सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ…
![](https://i0.wp.com/indiamitra.com/wp-content/uploads/2023/03/20230304_191618.jpg?resize=554%2C521&ssl=1)
- यह प्राणायाम मन को शांत करता है और शरीर को फिर से जीवंत करता है।
- स्वाद और सुगंध के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाता है।
- तनाव व चिंता से राहत देता है।
- आवाज को मधुर बनाता है और स्वर-तंत्र को मजबूत करता है।
- गले की परेशानी का इलाज करता है।
- ब्लड प्रेशर को संतुलित करता है।
- एकाग्रता में सुधार करता है।
- इसकी सहायता से मन स्थिर होता है, मानसिक तनाव, व्याकुलता आदि कम होती है।
- लकवा और माइग्रेन को ठीक करने में सहायक।
- प्रेग्नेंट महिलाओं सहित सभी उम्र के लोग सांस लेने के इस व्यायाम को आजमा सकते हैं।
- प्रेग्नेंसी के समय में, यह एंडोक्राइन सिस्टम के कामकाज को बनाए रखने और विनियमित करने में मदद करता है और बच्चे के जन्म को आसान बनाता है।
- अल्जाइमर रोग को ठीक करने के लिए यह बहुत ही अच्छा प्राणायाम है।