नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्र के नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हुई थी। नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती के स्वरूप माता चंद्रघंटा के अवतार की पूजा करना शुभदायक माना जाता है। माता का यह रूप अत्यंत परम शांतिदायक और कल्याणकारी है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा बाघ पर सवार होकर आती हैं। उनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है। इस कारण ही इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
देवी चंद्रघंटा दस भुजाओं वाली हैं, जिनके हर हाथ में अलग अलग शस्त्र विभूषित है। गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने वाली है। मां चंद्रघंटा की उपासना के लिए मंत्रोच्चारण से दिन की शुरुआत करें। साथ ही चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
मां चंद्रघंटा का पूजन मंत्र
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।
अर्थात् श्रेष्ठ सिंह पर सवार और चंडकादि अस्त्र शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
मां चंद्रघंटा का कवच पाठ
रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥
बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।
स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥
कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।
न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,
पूर्ण कीजो मेरे काम ।
चंद्र समान तू शीतल दाती,
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत बनाने वाली,
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो,
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो ।
सुंदर भाव को लाने वाली ,
हर संकट मे बचाने वाली ।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये ,
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय ।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं ,
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं ।।
शीश झुका कहे मन की बाता ,
पूर्ण आस करो जगदाता ।
कांची पुर स्थान तुम्हारा ,
करनाटिका में मान तुम्हारा ।।
नाम तेरा रटू महारानी ,
‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी ।
जय चंद्रघंटा माता,
मैया जय चंद्रघंटा माता।।
मां चंद्रघंटा को इस चीज का लगाए भोग
माना जाता है कि दूध से बनी चीजें मां चंद्रघंटा को अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।
माता का क्षमा याचना मंत्र
क्षमा याचना करें। मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।