ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस साल अपरा एकादशी 2 जून को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 2 जून यानी रविवार को सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 3 जून को सुबह 2 बजकर 41 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत जून को रखा जाएगा।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है।ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है।
अपरा एकादशी की व्रत कथा
प्रत्येक एकादशी की एक व्रत कथा होती है जिसे व्रत रखने वाले भक्त को अवश्य सनी चाहिए भगवान विष्णु की एकादशी व्रत कथा को सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं उनका व्रत रखने वाली के समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आई जानते है कि क्या है अपरा एकादशी की व्रत कथा-
अपरा एकादशी पर इस कथा को जरूर सुनाया जाता है। पौराणिक काल में एक राजा था जिसका नाम था महीध्वज। यह राजा बहुत ही नेक और न्यायप्रिय था लेकिन इसका छोटा भाई वज्रध्व पापी, क्रूर,अधर्मी और अन्याय करने वाला था। छोटा भाई राजा से बहुत बैर रखता था। उसने साजिश रखकर राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा महीध्वज की आत्मा आजाद नहीं हो पाई और वो प्रेत बन गया। प्रेत बना राजा पीपल के नीच काफी उत्पात करता और लोगों को परेशान करता था।
एक बार धौम्य ऋषि वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने पेड़ पर राजा महीध्वज का प्रेत देखा। राजा के प्रेत बनने की कहानी जानकर उन्होंने उसे पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। ऋषि ने राजा को सलाह दी कि वो अपरा एकादशी का व्रत करें। इससे उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऐसा ही किया और उसके पश्चात अपरा एकादशी के व्रत के चलते राजा दिव्य देह धारण करके स्वर्ग का भागी बना।
इस प्रकार से जो कोई भी भगवान विष्णु के अपरा एकादशी का व्रत करता है भगवान की कृपा से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को साल में पड़ने वाली 24 एकादशी का व्रत रखना चाहिए जिससे भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
अपरा एकादशी का व्रत करने से लाभ
हिंदू पंचांग में साल की 24 एकादशियों को सभी तिथियों में श्रेष्ठ माना गया है। अपरा एकादशी का व्रत रखने से जातक की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं उन्हे रोग बीमारी से उन्हें मुक्ति मिलती है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।मान्यता है कि अपरा एकादशी पर व्रत करने पर गाय, सोना और जमीन का दान करने का पुण्य प्राप्त होता है। जो लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि, धन और धान्य से भरपूर घर-परिवार मिलता है।