नवरात्रि की नवमी तिथि को माँ दुर्गा का नवां रूप – सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
इन्हें सिद्धियों की दात्री कहा गया है। सभी देवी–देवता, योगी, साधक आदि इनकी कृपा से आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्राप्त करते हैं।
देवी का प्रिय रंग
नवमी के दिन का शुभ रंग है बैंगनी (Purple/Violet)।
यह रंग आध्यात्मिक शक्ति, भक्ति और शांति का प्रतीक है।
देवी को प्रिय भाव
माता सिद्धिदात्री भक्ति, विनम्रता और सरलता के भाव से अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
साधक यदि निस्वार्थ भाव से माँ की आराधना करे तो उन्हें सिद्धियाँ और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अहंकार छोड़कर समर्पण भाव सबसे अधिक प्रिय है।
सिद्धिदात्री मंत्र
1. मूल मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
2. ध्यान मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
3. स्तोत्र मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजन विधि

बैंगनी या हल्के जामुनी रंग का वस्त्र धारण करें।
माँ को लाल या बैंगनी फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
विशेष भोग में नारियल और तिल के लड्डू अर्पित करने का विधान है।
अंत में कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजन विधि
सार: नवमी की देवी माता सिद्धिदात्री हैं, जिन्हें बैंगनी रंग, सरल भक्ति और समर्पण का भाव प्रिय है।
इनका बीज मंत्र है ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।