भारत एक श्रमप्रधान देश है, जहाँ अर्थव्यवस्था की रीढ़ श्रमिक वर्ग को माना जाता है। कारखानों, निर्माण स्थलों, खदानों, खेतों और असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले श्रमिक देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हीं श्रमिकों के अधिकारों, सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से श्रम आयोग तथा श्रम विभाग द्वारा विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं।
श्रम आयोग का मुख्य उद्देश्य यह है कि श्रमिकों को केवल रोजगार ही नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन, सामाजिक सुरक्षा और भविष्य की स्थिरता भी प्रदान की जा सके। वर्तमान समय में सरकार की श्रमिक-केन्द्रित नीतियाँ कल्याण के साथ-साथ आत्मनिर्भरता पर भी बल देती हैं।
श्रमिक कल्याण योजनाएँ
श्रम विभाग द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का प्रमुख लक्ष्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों तक सरकारी सहायता पहुँचाना है। इन योजनाओं के अंतर्गत श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधाएँ, शिक्षा सहायता, आवास सहयोग तथा आकस्मिक परिस्थितियों में आर्थिक मदद प्रदान की जाती है। विशेष रूप से बीड़ी श्रमिक, निर्माण श्रमिक और खनन क्षेत्र के कामगार इन योजनाओं से लाभान्वित होते हैं।
सामाजिक सुरक्षा एवं पेंशन योजनाएँ
वर्तमान समय में श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा एक बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए श्रम विभाग द्वारा पेंशन आधारित योजनाएँ लागू की गई हैं, जिनके माध्यम से वृद्धावस्था में श्रमिकों को नियमित आय का सहारा मिलता है। यह व्यवस्था श्रमिकों को भविष्य की अनिश्चितताओं से सुरक्षित करती है और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर देती है।
स्वास्थ्य एवं बीमा सुविधाएँ
श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य सबसे बड़ा पूँजी है। श्रम विभाग की योजनाओं के अंतर्गत बीमा और चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, जिससे दुर्घटना, बीमारी या मातृत्व जैसी परिस्थितियों में श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक बोझ न उठाना पड़े। यह पहल श्रमिकों की कार्यक्षमता और जीवन-स्तर को बेहतर बनाती है।
रोजगार एवं कौशल विकास
श्रम आयोग केवल सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि रोजगार सृजन और कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान देता है। विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों और करियर सेवाओं के माध्यम से श्रमिकों को नई तकनीकों से जोड़ा जाता है, जिससे वे बदलते समय के अनुसार स्वयं को सक्षम बना सकें।
श्रम सुधार और नए श्रम कानून
हाल के वर्षों में श्रम क्षेत्र में सुधारों के माध्यम से पुराने कानूनों को सरल और प्रभावी बनाया गया है। नए श्रम संहिताओं का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना तथा कार्यस्थल पर सुरक्षा के मानकों को मजबूत करना है। इससे संगठित और असंगठित—दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों को लाभ मिल रहा है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि श्रम आयोग और श्रम विभाग की योजनाएँ केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक न्याय, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की दिशा में एक ठोस कदम हैं। यदि इन योजनाओं का सही क्रियान्वयन और व्यापक जागरूकता सुनिश्चित की जाए, तो श्रमिक वर्ग वास्तव में देश के विकास में और अधिक सशक्त भूमिका निभा सकता है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि श्रम आयोग और श्रम विभाग की योजनाएँ केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक न्याय, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की दिशा में एक ठोस कदम हैं। यदि इन योजनाओं का सही क्रियान्वयन और व्यापक जागरूकता सुनिश्चित की जाए, तो श्रमिक वर्ग वास्तव में देश के विकास में और अधिक सशक्त भूमिका निभा सकता है।

