लखनऊ । जब कभी आने वाले दशकों और सदी में इस कोरोना बीमारी को देश ही नहीं सम्पूर्ण विश्व याद करेगा तो बहुत सी मन को विचलित करने वाली तस्वीरे, खबरे, वीडियों इन्टरनेट के माध्यम से लोगों के सामने होंगी।
ऐसे में ऐसे लोग जो इस कोरोना नाम की वैश्विक महामारी के समय इंसान के रूप में देवदूत बनकर लोगों की मदद करते रहे रहें, समाज को बचाने का काम किया इन्हें भी लोग पढेंगे, देखेंगे, सुनेंगे और इनसे प्रेरणा लेंगे।
देश के यूथ मीडिया प्लेटफार्म “इंडिया मित्र डाट काम” द्वारा “आपदा के असली नायक” सीरिज के तहत आज हम आपको मिला रहे है देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ के उत्तर विधान सभा अंतर्गत आने वाली समाज सेविका ममता त्रिपाठी से जिन्होंने न केवल कोरोना को हराया बल्कि ठीक होने के तुरंत बाद कोरोना से पीड़ित लोगों की मदद करने का काम शुरू किया।
और इस काम में अपने पति संतोष त्रिपाठी के साथ अन्य जागरूक लोगों को भी आपदा के इस समय में समाज की मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के निवासी अपने पति और परिवार के साथ पिछले 15 वर्षो से लखनऊ में निवास करती है, 36 वर्षीय ममता त्रिपाठी स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल संचालिका होने के साथ समाज सेवा के कार्यों में अग्रणी भूमिका में रही है।
ममता बताती है, शुरू-शुरू में जिस क्षेत्र में हमारा मकान है, यहाँ पर मूलभूत सेवाओं की काफी दिक्कत थी। धीरे-धीरे लोगों से मिलना जुलना शुरू किया गया, और इकट्ठे होकर क्षेत्र के समस्याओं को उठाने के लिए फैज़ुल्लागंज क्षेत्र के लोगों को एकजुट करने का प्रयास शुरू किया।
जब एक बड़े जनसमूह ने मिलकर समस्याएं उठाई तो शासन सरकार से सकारात्मक सहयोग मिला और यहाँ पर नाली, नल, सड़क, खडंजा का काम शुरू हो गया। वर्तमान में मेरी गली छोड़कर अमूमन हर जगह विकास हो चुका है
ये कारवाँ शुरू हुआ तो क्षेत्रीय जागरुक महिलाओं का एक समूह धीरे-धीरे साथ आ गया और हम लोग सार्वजानिक मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने लगे,और सामाजिक रूप से जागरूक लोगों का भी सहयोग मिला।
और सबके सुझाव पर हम लोगों ने अपने संगठन को अधिकारिक रूप से तैयार किया और उसका नाम महिला बाल सेवा सगंठन रखा और वर्तमान समय में फैज़ुल्लागंज वार्ड के साथ साथ हम लोग लखनऊ नगर निगम के 20 से ज्यादा वार्डों में कार्य कर रहे है उनकी समस्याएं उठा रहे हैं।
समाज सेवा के दौरान हुई कोरोना संक्रमित ….
ममता ने बताया,
“कोरोना संक्रमण की बीमारी है अचानक से टीवी व् अन्य संचार माध्यमों से लोगों के मन में इस कद्र कोरोना का डर बैठ गया कि लोग अपने इस बीमारी से संक्रमित सगे सम्बन्धियों जो की कोरोना पॉजिटिव थे उनसे मिलने,उनकी मदद करने से कतराने लगे।
कोरोना पॉजिटिव लोगों को जैसे अछूत समझा जा रहा हो , सामाजिक नियम ये है की अगर कोई पडोसी नाते-रिश्तेदार मुसुबित में है, तो उसकी मदद की जाये न की उपेक्षा की जाए और अगर मदद के बजाय उपेक्षा की गई तो बीमारी से से ज्यादा ये उपेक्षा खतरनाक है। इसे प्राथमिकता पर रखते हुए सेवा कार्य जारी रहा, दुर्भाग्य से कुछ समय बाद मै खुद इस बीमारी के चपेट में आ गयी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर से मंगवाई आइसोलेट लोगों की सूची।
ममता बताती है, मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर से अपने वार्ड में होम आइसोलेट लोगों की सूची मंगवाई और मैंने व् संगठन के साथियों ने घर-घर जाकर ऐसे लोगों को नि:शुल्क दवाइयों और जरूरत की अन्य चीजों को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया।
मेरे वार्ड में बीमार अधिकांश मरीज धीरे-धीरे रिकवर कर गये है साथ ही ऐसे लोगों के हाल समाचार हम लोग बराबर ले रहे है, ताकि मुसीबत के इस समय में वो लोग खुद को समाज से अलग न महसूस न करें।
कोविड कैंप लगवा करवाई जाँच …
ममता बताती है , बीमारी से बचना और भागना समाधान नहीं है,इसके लिए क्षेत्र में कैंप लगवाकर लोगों की आईटीपीसीआर जांच करवाई गई और ये काम अभी भी जारी है।
मिला लोगों का जन सहयोग और सहयोग
कोरोना की इस त्रासदी में जो रोज कमाने-खाने वाले लोग थे उनके उपर काफी असर पड़ा है। बहुत से ऐसे लोग भी है जिनके राशन कार्ड नहीं बने हैI संगठन के लोगों ने ऐसे लोगों के लिए आपसी सहयोग और सामाजिक लोगों के सहयोग से राशन इकट्ठा किया जो कि जरुरतमंद लोगों तक पहुँचाया जा रहा है साथ ही संगठन द्वारा हेल्पलाइन नम्बर 9415355399 जो कि मेरा नम्बर है जारी किया गया है जिस पर किसी भी समय कोई जरूरतमंद फोन कर सकता है।
खुद शुरू किया सैनीटाइजेशन…
कोरोना बीमारी तो चल ही रही है,फैजुल्लागंज वार्ड में इसके पहले साल २०१६ में डेंगू के चलते सैकड़ों लोगो की मौत हो गयी थी। ऐसे में साफ़-सफाई जरुरी है ताकि लोगों को बीमारी से बचाया जा सके इसके लिए वार्ड में खुद घर-घर जाकर सैनीटाइजेशन का काम शुरू किया और इसमें संगठन के लोगों ने न केवल मदद की बल्कि बाहर निकल कर काम भी किया, मेरे पति संतोष त्रिपाठी से भी मुझे सहयोग मिला और वो इस काम में मेरे मुझे मदद भी कर रहे है।
गायत्री नगर निवासी मुरली प्रसाद बताते है,
“ममता जी के कार्यों से प्रभावित होकर मै भी उनके साथ काम कर रहा हूँ , बहुत से लोग ऐसे है जो अच्छे वेतन पर सरकारी नौकरी कर रहे है और ममता जी के प्रोत्साहित होकर फील्ड पर स्वयंसेवक की तरह कार्य कर रहे है I बहन ममता जी जिस तरह कार्य कर रही है उससे हमें सीखने की जरूरत है।”