अकबर बीरबल की कहानी व किस्से काफी मजेदार होते हैं इनकी कहानी बच्चों व बड़ों सभी को पढ़ना पसंद होती हैं। आज ऐसी मजेदार कहानी हम आपके लिए लेकर आए हैं आज की हमारी कहानी का शीर्षक है – सबसे बड़ी गर्ज
कहानी सबसे बड़ी ‘गर्ज‘
अकबर बादशाह विनोदी स्वभाव के थे। उन्हें पहेलियां बुझाने का बड़ा शौक था। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान और बुद्धिमान भी थे। लेकिन अकबर की अधिकतर पहेलियों का उत्तर बीरबल ही देते थे। यूं कहिए कि बीरबल ही अकबर की पहेलियों का उत्तर दे पाते थे, इसलिए अकबर बादशाह उनसे प्रसन्न रहते थे।
एक दिन की बात है कि बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। बीरबल की अनुपस्थिति में दूसरे सभासद बीरबल के विषय में अकबर के कान भर रहे थे। उनकी तरह-तरह से बुराई कर रहे थे। अकबर बादशाह को यह सब अच्छा नहीं लगा। कारण था कि वे बीरबल को बहुत चाहते थे, उन्हें दिल से प्यार करते थे। अतः बादशाह ने अपने सभासदों से कहा- ‘तुम लोग ख्वामखाह बीरबल की बुराइयां कर रहे हो। वास्तव में बीरबल तुम लोगों से कहीं अधिक चतुर व बुद्धिमान हैं।‘
अकबर के ऐसा हने पर वे लोग कहने लगे – ‘‘बादशाह सलामत! आप वास्तव में बीरबल को बहुत चाहते हैं, हम लोगों से ज्यादा प्यार करते हैं। इस तरह से आपने एक हिंदु को सिर चढ़ा रखा है।‘‘
एक दिन जब सभा समाप्त होने का समय आया तो अकबर बादशाह ने अपने उन चार सभासदों से कहा – ‘देखो, आज बीरबल तो यहां नहीं, मुझे अपने एक सवाल का जवाब चाहिए। तुम चारों मेरे प्रश्न का उत्तर दो और यदि तुम लोगों ने मेरे प्रश्न का सही-सही उत्तर नहीं दिया तो मैं तुम चारों को फांसी पर चढ़वा दूंगा।‘
बादशाह की बात सुनकर वे चारों घबरा उठे। उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा – ‘प्रश्न पूछिए बादशाह सलामत!‘
बादशाह ने पूछा – ‘संसार में सबसे बड़ी चीज़ क्या है?
अकबर का प्रश्न सुनकर चारों चुप। उनको समझ में सवाल का उत्तर नहीं आया। कुछ देर बाद उनमें से एक ने कहा – ‘खुदा की खुदाई सबसे बड़ी है।‘
दूसरे ने कहा – ‘बादशाह सलामत की सल्तनत बड़ी है।‘
उनके बेतुके उत्तर सुनकर बादशाह ने कहा – ‘अच्छी तरह सोच-समझकर उत्तर दो, वरना मैं कह चुका हूं कि तुम लोगों को फांसी लगवा दूंगा।‘
तीसरे ने डरते-डरते कहा – ‘बादशाह सलामत! हमे कुछ दिनों की मोहलत दी जाए।‘
बादशाह ने कहा- ‘इसमें मुझे कोई एतराज नहीं है, मैं तुम लोगों को एक सप्ताह का समय देता हूं।‘
वे चारों सभा से मुंह लटकाए बाहर निकले। उनके चेहरों पर मुर्दनगी छा गई। चारों ही फांसी के नाम से पीले पड़ गए। छः दिन बीत गए लेकिन उन्हें कोई उत्तर न सूझ सका।
तब उन चारों ने आपस में सलाह की कि इस प्रश्न का उत्तर केवल बीरबल ही बता सकता है। इस परेशानी से हमें वही उबार सकता है। यह निश्चय करके वे चारों बीरबल के पास पहुंचे गए। उन्होंने बीरबल को पूरी घटना कह सुनाई और हाथ जोड़कर उनसे विनती की कि वह उनके प्रश्न का उत्तर बता दें।
बीरबल ने उनका प्रश्न सुनकर मुस्करा कर कहा – ‘मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है।‘
‘आप एक शर्त की बात करते हैं, हमें आपकी हजार शर्तें मंजूर हैं। बताइए क्या शर्त है?‘
तब बीरबल ने उनको अपनी शर्त बताते हुए कहा – ‘तुम चारों अपने कंधों पर मेरी चारपाई रखकर सभा महल तक ले चलोगे। इसके साथ ही तुम में से एक मेरा हुक्का पकड़ेगा, जिसे मैं पीता हुआ चलूंगा। एक मेरी जूतियां लेकर चलेगा।‘
अगर अन्य किसी समय पर बीरबल उनको यह सब करने के लिए कहते तो शायद वे ऐसा कभी न करते। लेकिन अब जब उन्हें फांसी लगने का डर था तो वे तुरन्त ही उनकी बात मानने को तैयार हो गए। उन्होंने वैसा ही किया। वे चारों अपने कंधों पर बीरबल की चारपाई उठाए, उनका हुक्का और जूतियां उठाए चल दिए।
बीरबल हुक्का पीते हुए चले जा रहे थे। रास्ते में लोग आश्चर्य से इस अजीब मंजर को देख रहे थे। उन्होंने जाकर बीरबल की चारपाई को सभा के मध्य रख दिया। बीरबल ने चारपाई से उतर कर कहा – ‘बादशाह सलामत! आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया। संसार में सबसे बड़ी चीज ‘गर्ज‘ है।
अकबर बादशाह मुस्करा उठे। दरअसल वे उन चारों को सबक सिखाना चाहते थे।