अकबर बीरबल की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी इनकी कहानी काफी प्रसिद्ध होती है जिसमें बीरबल अपने बुद्धिमानी का परिचय देते हैं आज अपनी इस लेख में हम आपको एक ऐसी ही बेहतरीन कहानी बताने वाले हैं जो अकबर बीरबल से संबंधित है और इस कहानी में आपको कुछ नया सीखने को मिलेगा तो आईए जानते हैं कि क्या है हमारी आज की कहानी:-
बीरबल के तीन प्रश्न

एक दिन बादशाह अकबर ने अपने दरबार में घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति उनके प्रश्नों के सही उत्तर देगा, उसे बड़ा इनाम दिया जाएगा। बादशाह ने तीन प्रश्न पूछे—
वह क्या है जो आज भी मौजूद है और कल भी रहेगा?
वह क्या है जो न आज है और न ही कल होगा?
वह क्या है जो आज तो है, लेकिन कल नहीं रहेगा?
इन तीनों प्रश्नों के साथ उदाहरण देना भी अनिवार्य था।
दरबार में मौजूद कोई भी विद्वान इन उलझे हुए सवालों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया। तभी बीरबल आगे आए और बोले—
“जहाँपनाह! मैं इन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ, लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ शहर में चलना होगा। वहीं आपको सही उत्तर देखने को मिलेंगे।”
अकबर बीरबल की बात मान गए। दोनों ने साधारण कपड़े पहने, सूफियों का रूप धारण किया और नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े। थोड़ी देर बाद वे बाज़ार पहुँचे और एक दुकान में गए।
बीरबल ने दुकानदार से कहा—
“हम बच्चों की शिक्षा के लिए एक मदरसा बनवाना चाहते हैं। क्या आप इसके लिए हमें एक हज़ार रुपये दान में देंगे?”
दुकानदार ने जैसे ही अपने मुनीम को पैसे देने का आदेश दिया, बीरबल ने कहा—
“लेकिन शर्त यह है कि हर एक रुपये के बदले मैं आपके सिर पर एक जूता मारूँगा। बताइए, क्या आप तैयार हैं?”
यह सुनकर नौकर गुस्से में आ गया, लेकिन दुकानदार ने उसे रोकते हुए कहा—
“मैं इसके लिए तैयार हूँ, बस मुझे भरोसा होना चाहिए कि यह धन सचमुच किसी अच्छे काम में लगेगा।”
इतना कहकर दुकानदार ने सिर झुका दिया। तभी बिना कुछ कहे अकबर और बीरबल दुकान से बाहर निकल आए।
थोड़ी दूर चलने के बाद बीरबल ने कहा—
“हुजूर! आपने देखा, उस दुकानदार के पास आज धन भी है और उसे अच्छे कार्यों में लगाने की इच्छा भी। यही नेक नियत उसका भविष्य सँवार देगी। यानी जो अच्छाई आज उसके पास है, वह कल भी उसके साथ रहेगी। यह आपके पहले प्रश्न का उत्तर है।”
आगे बढ़ते हुए वे एक भिखारी के पास पहुँचे। किसी व्यक्ति ने उसे आवश्यकता से अधिक भोजन दे दिया था। बीरबल ने उससे कहा—
“हम भी भूखे हैं, क्या कुछ खाना हमें दे सकते हो?”
भिखारी झुँझला गया और बोला—
“यहाँ से चले जाओ, मुझे परेशान मत करो।”
तब बीरबल ने अकबर से कहा—
“जहाँपनाह! यह भिखारी दया और परोपकार का महत्व नहीं समझता। इसका अर्थ है कि जो इसके पास आज है, वह कल नहीं रहेगा। यह आपके दूसरे प्रश्न का उत्तर है।”
इसके बाद दोनों आगे चले और एक साधु को देखा जो वृक्ष के नीचे ध्यान में बैठा था। बीरबल ने उसके सामने कुछ सिक्के रख दिए। साधु ने तुरंत कहा—
“इन्हें यहाँ से हटा लो। यह धन मुझे शुद्ध नहीं लगता, मुझे इसकी आवश्यकता नहीं।”
बीरबल मुस्कराए और बोले—
“हुजूर! इसका मतलब यह हुआ कि जो आज नहीं है, वह कल हो सकता है। आज यह साधु सांसारिक सुखों से दूर है, लेकिन भविष्य में यही सुख उसे प्राप्त हो सकते हैं।”
फिर बीरबल ने कहा—
“और जहाँपनाह! एक उदाहरण आप स्वयं हैं। अपने पूर्वजन्म के अच्छे कर्मों के कारण ही आज आप वैभव और सम्मान का जीवन जी रहे हैं। यदि आप न्याय और सच्चाई के मार्ग पर चलते रहे, तो यह सब कल भी आपके पास रहेगा। लेकिन यदि आप इस मार्ग से भटक गए, तो कुछ भी स्थायी नहीं रहेगा।”
बीरबल की बुद्धिमत्ता और गूढ़ अर्थों से भरे उत्तर सुनकर बादशाह अकबर अत्यंत प्रसन्न हुए और उनकी चतुराई की सराहना की।

