सार
14 जुलाई 2023 को भारत अपना चंद्रयान- 3 मिशन लॉन्च करेगा।यह मिशन इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश से उड़ान भरेगा। इस बार लैंडिंग के सभी भागों को काफी मजबूत बनाया गया है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा बाधाओं को झेल सके और इमरजेंसी में भी उसकी लैंडिंग सफल रहे….
विस्तार
चांद क्या है? यह जानने की उत्सुकता सभी होती है और इस पर पाए जाने वाले सभी तत्वों के बारे में भी हर कोई जानना चाहता है। पर आपको क्या पता है कि चांद पर सबसे पहले कौन सा देश पहुंचा था?
हम आपको बता दें कि 1969 में सबसे पहले अमेरिका ने अपना मिशन चांद पर भेजा था।
जब पहली बार चांद पर किसी इंसान ने कदम रखा था तब से लेकर आज तक कई मून मिशन भेजे जा चुके है। कई देश इसमें सफल हुए लेकिन लैंडिंग केवल 3 देशों के मिशन ही कर पाए हैं। भारत द्वारा 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान- 3 लांच किया जाएगा।चंद्रयान- 3 ,श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश से उड़ान भरेगा … चंद्रयान 3 मिशन को बनाने का श्रेय इसरो जाता है।
भारत चंद्रयान 3 के जरिए ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन सकता है। चंद्रयान-2 में असफल होने के बाद भारत ने चंद्रयान 3 मिशन में कई बदलाव भी किए हैं।
लॉन्चिंग के पहले इसरो के वैज्ञानिक पहुंचे मंदिर…
चंद्रयान 3 के शुक्रवार को लांच होने के पहले इसरो वैज्ञानिकों की टीम गुरुवार को आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची और पूजा अर्चना की ताकि चंद्रयान 3 की लैंडिंग सफल रहे हैं। यह भारत का तीसरा एक्सप्लेरेशन मिशन हैँ। Chandrayaan-3 मिशन कल दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश स्पेसपोर्ट से उड़ान भरेगा।
कितने देशों ने की है अब तक सॉफ्ट लैंडिंग?
अब तक केवल 3 देश चंद्रमा पर स्पेसशिप की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल हुए हैं –
1. अमेरिका
2. रूस
3. चीन
इन देशों के मून मिशन अब तक रहे सफल…
अब तक कुल 11 देशों के मून मिशन सफल रहे हैं। इन देशों के नाम निम्नलिखित हैं –
अमेरिका-32, सोवियत यूनियन-23, चीन -7, जापान-2, लक्जमबर्ग-1, यूरोपियन यूनियन-1, भारत-1, इटली-1, इसराइल -1,साउथ कोरिया -1,संयुक्त राज्य अमीरात-1
1972 से लेकर के अब तक 50 सालों से कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया है सिर्फ अमेरिका वहां इंसान उतारने सफल पहला देश है। 14 दिसंबर 1972 को आखिरी बार वहां इंसान उतरा था। अब तक 24 इंसान वहां गए,जिसमें से मात्र 12 लोगो ने है चांद की जमीन पर कदम रखा।
क्या खास बात है चंद्रयान 3 मिशन में…
चंद्रयान 3 को इस बार काफी मजबूत तरीके से बनाया गया है तकिया इमरजेंसी में भी सभी बाधाओं को झेल कर लैंडिंग करने में सफल हो सके।इसमें ज्यादा फ्यूल और नया सेंसर लगाया गया है ताकि यह वापस आने में भी सक्षम रहे। लेजर डॉप्लर वेलोसिटी मीटर एक सेंसर है जो चांद की जमीन का विश्लेषण करेगा ज्यादा पावर जनरेट करने के लिए स्पेस एजेंसी इसरो ने इस बार लैंडिंग में और ज्यादा सोलर पैनल लगाए हैँ।