अफगानिस्तान में आज अपने 102वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तालिबान ने इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान का गठन किया.. तालिबान ने यह नाम 1996 से 2001 तक तब इस्तेमाल किया था जब इसका शासन था। दरअसल 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाले समूह ने तालिबान को सत्ता से हटा दिया था। कट्टरपंथी समूह तालिबान ने घोषणा की है कि वह जल्द नई सरकार के गठन की घोषणा करेगा।
तालिबान के काबुल में घुसने और पूरे अफगानिस्तान पर प्रभाव जमाने के बाद अब संगठन ने देश की नीतियों से जुड़े फैसले लेना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में देश की आजादी के 102 साल पूरे होने के मौके पर तालिबान नेतृत्व ने अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के गठन का एलान भी किया। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि इस्लामिक अमीरात सभी देशों से अच्छे राजनयिक और व्यापारिक रिश्ते चाहता है।
क्या है इस्लामी अमीरात ?
बता दें कि तालिबान की तरफ से यह एलान उसके राजधानी काबुल में कब्जा करने के चार दिन बाद आया है। इस्लामी अमीरात में अमीरात शब्द अमीर से बना है, इस्लाम में अमीर का मतलब प्रमुख या प्रधान से होता है। इस अमीर के तहत जो भी जगह या शहर या देश आता है, वो अमीरात कहलाता है। इस तरह इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान का मतलब हुआ एक इस्लामिक देश। जैसे कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान।
तालिबान के एक वरिष्ठ नेता वहीदुल्लाह हाशिमी के मुताबिक,
“अभी अफगानिस्तान पर शासन के तरीके पर फैसला होना बाकी है, लेकिन अफगानिस्तान लोकतंत्र नहीं होगा। उन्होंने कहा कि देश में कोई लोकतांत्रिक प्रणाली नहीं हो सकती, क्योंकि इसका अफगानिस्तान में कोई आधार ही नहीं है। यहां सिर्फ शरिया कानून लागू हो सकता है और हम इस बारे में पहले से ही स्पष्ट हैं।”
सरकार शरीयत कानून के अनुसार चलाई जाएगी। तालिबान ने अमेरिका को हराने की घोषणा करके गुरुवार को अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया। यह दिवस मध्य एशियाई देश में ब्रितानी शासन का अंत करने वाली 1919 की संधि की याद में मनाया जाता है। तालिबान ने कहा, यह सौभाग्य की बात है कि हम ब्रिटेन से आजादी की वर्षगांठ मना रहे हैं। साथ ही हमारे जिहादी प्रतिरोध के परिणामस्वरूप दुनिया की एक और अहंकारी ताकत अमेरिका असफल हुआ। उसे अफगानिस्तान से बाहर जाने पर मजबूर होना पड़ा।
साथ ही वहीदुल्ला हाशिमी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के गठन के बाद अब इस देश में सत्ता चलाने के लिए तालिबान के प्रमुख नेताओं की एक परिषद बनायी जायेगी । इस परिषद का नेतृत्व तालिबान का सरगना हैबतुल्लाह अखुंदजादा करेगा। इसी के साथ ईरान की तरह ही अफगानिस्तान में भी एक सुप्रीम लीडर का पद होगा।