यह कहानी गौतम बुद्ध पर आधारित है आईए जानते हैं इस कहानी में गौतम बुद्ध जी ने आने वाली पीढ़ी को क्या शिक्षा दी है……
कहानी….
एक बार की बात है गौतम बुद्धा एक गांव से गुजर रहे थे, पर उसे गांव के सभी लोगों के मन में गौतम बुद्ध के लिए बुरी धारणा चल रही थी। वह गौतम बुद्ध को अपना दुश्मन समझते थे इसीलिए जैसे ही गौतम बुद्ध उन सब के समीप पहुंचे तो वह सब उन्हें बुरा भला कहने लगे और उन्हें बद्दुआ देने लगे।
इतने बुरे व्यवहार के बाद भी गौतम बुद्ध ने गांव वालों को कुछ नहीं कहा और उनकी सारी बातें मुस्कुरा कर सुनते रहे। जब बहुत देर तक सभी गांव वाले बोलते रहे गौतम बुद्ध ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया मुस्कुरा के उनकी बातें सुनते रहे। जब सभी गांव वाले बोलकर थक गए तब गौतम बुद्ध जी ने कहा कि” यदि आप सब की बातें समाप्त हो गई हो तो मैं अब यहां से प्रस्थान करूं।
गौतम बुद्ध की यह बातें सुनकर सभी गांव वाले हैरान हो गए पर उन्होंने उसे कुछ नहीं कहा। तभी इस भीड़ में से एक व्यक्ति ने बोला गौतम बुद्ध जी से कि” हम सब ने आप कि कितनी बुराई की आपको इतने अपशब्द कहे और आपको बद्दुआ दी इसका आप पर कोई फर्क नहीं पड़ा.?
उसके बाद बुद्ध जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि” आपने मुझे जो भी गालियां दी अपशब्द कहें और बददुआएं दी हैं, मैं उन्हें लेता ही नहीं और जब तक मैं लूंगा नहीं तब तक उसका परिणाम कैसे होगा? आपको पता है कुछ दिन पहले मुझे एक शिष्य ने कुछ तोहफे दिए मैंने उसे उन्हें लेने से मना कर दिया जब मैं उन तोफ़ो को लूंगा ही नहीं तब तक मुझे कोई कैसे कुछ दे सकता है.।
फिर बुद्ध ने वहां के खड़े लोगों से प्रश्न पूछा ” आप लोग बताइए कि यदि मैंने उस तोफे को नहीं लिया होगा तो उसने उस तोफे का उसने क्या किया होगा..? तो कुछ लोगों ने कहा कि उसने उसको अपने पास ही रख लिया होगा। तो बुड्ढा जी बोले इसीलिए मुझे आप सब पर दया आती है जो गाली आपने मुझे दी मैं उसे लेने में असमर्थ हूं इसी प्रकार वे गालियां भी आपके पास ही रह जाएगी ।
इस कहानी की सीख -:
गौतम बुद्ध की इस कहानी से मेरा शिक्षा मिलती है कि हम अक्सर हमारे दुख का कारण किसी और को ही समझते हैं परंतु या पूर्ण तरीके से हम पर निर्भर करता है। हम वास्तव में क्या चाहते हैं ‘खुशी या गम’, ‘उदासी या मुस्कान’। इस छोटी सी कहानी से हमें बहुत सारी सीख मिली हैं।