श्रीराम शर्मा जी का जन्म 20 सितबर 1911 को आंवलखेड़ा,आगरा में हुआ था । उनका बचपन गांव में ही बीता था। उनके पिताजी का नाम पं.रूपकिशोर शर्मा था । उनकी माताजी का नाम दानकुंवरी देवी था।।
वे एक जमींदार घराने में जन्मे थे, पर उनका मन शुरुआत से ही अध्यात्म साधना के साथ-साथ निर्धनों एवं निर्बल की पीड़ा के प्रति संवेदनशील भी था। जब गांव की एक बहुत गरीब महिला कुष्ठ से पीड़ित हो गई , तो बालक श्री राम ने अपने परिवार वालों का विरोध सह कर भी उस महिला की सेवा करी,जैसे ही वह महिला स्वस्थ हुई उसने श्री राम को बहुत सारा आशीर्वाद दिया।
श्रीराम मत्त और गुरुदेव के नाम से भी जाने जाते थे, उन्हें श्रीराम मत्त नाम मिलने के पीछे एक कहानी है ।।
आखिर उन्हें श्रीराम मत्त नाम कैसे मिला ??
उन्होंने अपने मुंह में झण्डा दबा लिया था , जिस के टुकड़े उनके बेहोश हो जाने के बाद ही उनके मुंह से निकले जा सके, जिसके कारण उन्हें श्रीराम “मत्त” नाम मिला।
1935 के बाद उनके जीवन का नया दौर शुरू हुआ। वे ऋषि अरविंद जी से मिलने पांडुचेरी चले गए। श्री रवींद्रनाथ टैगोर से मिलने वे शांति निकेतन तथा गांधी जी से मिलने सेवाग्राम चले गए।
श्रीराम शर्मा जी का परिवार –
उनकी पत्नी का नाम भगवती देवी शर्मा था। श्रीराम शर्माजी के बड़े पुत्र का नाम रमेश कुमार शर्मा, और उनकी बेटी का नाम कमला शर्मा। श्रीराम शर्मा जी के बड़े पुत्र रमेशकुमार शर्मा,तथा उनकी बेटी कमला शर्मा के साथ श्रीराम जी के बड़े भाई बालाप्रसाद पकड़े गए, उन सभी लोगों को जेल हुई।
श्रीराम शर्मा जी के अनमोल विचार
- दूसरो के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद ही ना पसंद हो।
- अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनता है , ईश्वर नहीं।
- दिमाख तभी बदलता है, जब परिस्थितियां बदलती है।
- मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छेनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।
- जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।
- अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।
- प्रभावी और सार्थक उपदेश वह होता है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है।
- दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसन्द नहीं।
- शालीनता बिना मोल मिल जाती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीद सकते है।
- प्रभावी और सार्थक उपदेश वह होता है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है।