एंटीबायोटिक दवाइयां के बेवजह इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाइयों का गलत इस्तेमाल एक गंभीर समस्या है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इंडियन काउंसलिंग ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी(ICMR ) ने सामान्य सिंड्रोम में इलाज को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें बताया गया है कि डॉक्टर की सलाह और उनके लिखे पर्चे पर ही एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार वायरल ब्रोंकाइटिस और निम्न श्रेणी के बुखार के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों के उपयोग को लेकर अहम निर्देश जारी किए गए। एंटीबायोटिक दवाओं को औषधि नियम 1945 की अनुसूची H और H 1 में शामिल किया गया है परंतु इन्हे केवल रजिस्टर्ड डॉक्टर की पर्चे पर ही बेचा जा सकता है।
राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया की अनुसूची H 1 में शामिल दवा को सप्लाई के समय एक अलग रजिस्टर में दर्ज करना होगा। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने 20 अस्पताल में भर्ती 9653 पत्र रोगियों को लेकर सर्वे किया था राइट प्रीवैलेंस सर्वे में पाया गया कि 71.9% रोगियों को एंटीबायोटिक दिए गए थे।
क्या होती हैं एंटीबायोटिक दवाइयां?
एंटीबायोटिक दवाएं जीवाणुओं के खिलाफ लड़ने में मदद करने वाली दवाएं होती हैं। ये जीवाणुओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद करती हैं और इस तरह से इंफेक्शन को ठीक करने में मदद करती हैं। एंटीबायोटिक्स कई प्रकार की होती हैं।
एंटीबायोटिक दवाइयां का उपयोग
प्रायः एंटीबायोटिक्स का उपयोग जीवाणुओं से होने वाली संक्रमण को इलाज करने में किया जाता है। ये दवाएं जीवाणुओं के विकास और प्रसार को रोककर और संक्रमण को नष्ट करने में मदद करती हैं। अनेक प्रकार की इंफेक्शन्स, जैसे कि बैक्टीरियल इंफेक्शन, जीवाणुओं से होने वाले बुखार, स्किन इंफेक्शन, गले की संक्रमण, इत्यादि के इलाज में एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
हालांकि, एंटीबायोटिक्स को सही मात्रा और समयानुसार लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अधिक अवशोषण या अनुचित उपयोग से दवाईया आपके लिए हानिकारक भी हो सकती हैं और समस्या सुधरने के बजाये बिगड़ सकती है।