भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में होली का विशेष स्थान है। इसे भारत में रंगों के त्योहार या उल्लास के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह ना केवल रंगों और उल्लास का पर्व है, बल्कि सामाजिक समरसता, प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली का त्योहार हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का यह पर्व ना सिर्फ पूरे भारत में, बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है।
अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने के लिए कह, जिसके पास आग में ना जलने की सिद्धि थी। लेकिन जब वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी, तो स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इस कथा को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है और होली के त्योहार और होलिका दहन को इससे जोड़कर देखा जाता है।
रंगों वाली होली

दूसरे दिन ‘रंगों वाली होली’ खेली जाती है, जिसे ‘धुलेंडी’ भी कहते हैं। इस दिन लोग रंग, गुलाल, पिचकारियां, पानी के गुब्बारे और तरह-तरह के प्राकृतिक एवं कृत्रिम रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं।
होली का उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि पुराणों, जातक कथाओं और संस्कृत साहित्य में मिलता है। इसे ‘वसंतोत्सव’ और ‘काममहोत्सव’ के रूप में भी मनाया जाता था। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि उत्तर भारत में इसे होली, पश्चिम बंगाल में ‘डोल पूर्णिमा’, महाराष्ट्र में ‘शिमगा’ और दक्षिण भारत में ‘कामदहन’ के रूप में मनाया जाता है।
होली मनाने के तरीके
सभी जगह होली मनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं । जैसे मथुरा वृंदावन की होली अलग होती है ,अवध की होली अलग होती है । आइए जानते हैं कि होली कितने प्रकार से मनाई जाती है –
मथुरा-वृंदावन की होली:
यहां होली कई दिनों तक चलती है, जिसमें फूलों की होली, रंगों की होली और फाग उत्सव प्रमुख होते हैं।
ब्रज की लट्ठमार होली: बरसाना और नंदगांव में मनाई जाने वाली यह होली दुनिया भर में मशहूर है, जहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष ढाल से बचने की कोशिश करते हैं।
बिहार में फगुआ:
यहां होली को ‘फगुआ’ कहा जाता है, और लोग ढोल-मंजीरे के साथ पारंपरिक गीत गाते हैं।
शांतिनिकेतन की होली:
यहां इसे ‘बसंत उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है, जहां रंगों के साथ शास्त्रीय संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।