पिता बिजली विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और उन पर 7 लोगों के परिवार की निर्भरता. पिता रिटायर हुए और उनके रिटायरमेंट क्लेम अटक गए. उसके बाद पिताजी के साथ सालों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. तब सिस्टम (System) की बदहाली देख इंजीनियरिंग (engineering) छोड़ सिविल सर्विसेज (Civil Services) में आने का फैसला किया. 4 बार असफल होने के बाद आखिरकार 2013 में 7वीं रैंक हासिल कर पीसीएस (PCS) बन गए. ये कहानी है यूपी (UP) के पीसीएस अधिकारी राहुल गुप्ता की. चलिए जानते हैं कैसा रहा उनका यहां तक पहुंचने का सफर।
सरकारी स्कूल में पढ़े, प्राइवेट जॉब की:
राहुल ने अपनी हाइस्कूल और इंटर की पढ़ाई UP के सरकारी स्कूलों से की. इसके बाद 2007 में उत्तराखंड के काशीपुर से सरकारी पॉलीटेक्निक से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. फिर दिल्ली आकर एसोसिएट मेंबर ऑफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (AMI) से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग किया. इस दौरान विभिन कंपनियों में प्राइवेट जॉब भी करते रहे. लेकिन घर के हालात देखकर मन शांत नहीं था.
परिवार बड़ा, आमदनी छोटी:
राहुल के पिता UP में बिजली विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे और उनकी माँ गृहणी. राहुल के अलावा घर में दो बड़ी बहनें और दो बड़े भाई हैं. राहुल घर में सबसे छोटे हैं. ऐसे में 7 लोगों के बड़े परिवार के लिए ये आमदनी छोटी पड़ने लगी. घरेलू खर्चों के अलावा बच्चों की पढ़ाई में भी मुश्किलें हुईं.
2006 से बढ़ गई मुश्किलें:
राहुल के पिता बिजली विभाग से 2006 में रिटायर हुए. लेकिन उनके रिटायरमेंट क्लेम विभाग में ही अटक गए. क्लेम सैटल करवाने के लिए पिता के साथ कई साल सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े. पिता की पेंशन भी नहीं आ रही थी. आर्थिक तंगी के चलते घर में गरीबी का माहौल था. क्लेम सेटलमेंट में 5 साल लग गए. तब सरकारी बदहाली को देखते हुए सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया
UPSC में असफल होने के बाद PCS को लेकर गंभीर हुए:
राहुल ने 2006 से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. 2008 में UPSC का पहला प्रयास असफल रहा. वे मेन्स तक पहुंचे लेकिन फाइनल क्लियर नहीं हुआ. इसके बाद 2010 से PCS को लेकर गंभीर हुए. तीन प्रयास असफल हुए और आखिरकार 2013 में चौथे प्रयास में 7वी रैंक के साथ सफल हुए. फिलहाल राहुल मुज़फ्फरनगर में चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (CDPO) पद पर तैनात हैं.
सफलता में माता-पिता और दोस्तों कर रहा बड़ा श्रेय-
इंजिनीरिंग बैकग्राउंड से PCS की तैयारी करने आए थे. उन्होंने पोलिटिकल साइंस विषय चुना था. उन्हें दो साल काफी दिक्कतें हुईं, सही कोचिंग नहीं मिल पाई. तब दो दोस्तों संतोष कुमार और आनंद प्रिया की मदद से उन्होंने इस पर काबू पाया और सफलता हासिल कीराहुल अपनी सफलता का श्रेय बड़ी बहन नीलम गुप्ता और माताजी के प्रयासों को देते है जिन्होंने राहुल को हर हाल में मोटिवेट किया।
अब वे अगले प्रयास में डिप्टी एसपी बनना चाहते है।