लखनऊ। भारतीय धर्मिक ग्रंथो में गोमती नदी को आदि गंगा की संज्ञा दी गयी है। गोमती जी का उद्गम गंगा जी से पूर्व का माना जाता है और भारतवर्ष की नदियों की श्रृंखला में आदि गंगा गोमती का विशेष स्थान है।
गोमती नदी का उद्गम पीलीभीत के माधवटांडा में स्थित गोमत ताल से होता है और लगभग 1000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए गोमती नदी शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ होते हुए जौनपुर में गंगा नदी में जाकर विलीन हो जाती है।
गोमती नदी के जन्म स्थान (पीलीभीत) में ही इस नदी को खोजना मुश्किल हो गया है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसकी वजह से यह नदी अपने जन्म स्थान पर ही मृतप्राय: हो गई है।
अपने उद्गम स्थल पर ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही आदि गंगा की मुसीबतें 9 जिलों की यात्रा करते हुए क्रमश बढ़ती ही रही, सरकारे आयी गयी गोमती को बचाने के नाम पर सरकारी धन का बंदरबाट होता रहा और धीरे धीरे उत्तर प्रदेश के 9 जनपदों की लाइफ लाइन माने जानी वाली गोमती नदी की स्वयं की सांसे मंद होती चली गयी।
आगे की यात्रा में यात्रा में गोमती को मिले उसका जल प्रवाह रोकने वाले बाढ़, जहरीले गंदगी युक्त पानी वाले विशालकाय नाले जिसमे गोमती के नीले रंग में जहर घोल दिया। कई बार बड़ी संख्या में जलचरों की मौत हुई। काफी प्रयास हुए कागजो पर और कई बार कागजो पर गोमती नदी स्वच्छ और निर्वाध भी हुई।
जब अकेले व्यक्ति ने उठाया गोमती को स्वच्छ करने का जिम्मा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डालीगंज वार्ड के समाजसेवक रंजीत सिंह गोमती की दुदर्शा से आहत होकर लगभग 5 वर्ष पूर्व अकेले ही गोमती की सफाई का संकल्प लेकर उतर पड़े,
“लोग हंसे, किसी ने सनकी कहा,किसी ने कुछ, अलग-अलग संज्ञाएँ दी गयी, मुझे आता है ये कार्य अकेले इंसान के बस का नही है, पर क्या करें, जो हम कर सकते है उतना करके जाएंगे इस भावना के साथ लग पड़े”
रंजीत सिंह
इस अभियान में रंजीत सिंह को सबसे पहले समर्थन देने वाली उनकी धर्म पत्नी रेखा रोशनी यादव जिनका सहयोग न मिलता तो शायद ये मुहिम इस मुकाम पर न होती, घर से समर्थन और सहयोग के बल पर इस अभियान के लिए संकल्पित रंजीत की इस मुहिम को धीरे-धीरे जन समर्थन मिलना शुरू हो गया, चाचा के नाम से विख्यात डाली गंज के विष्णु तिवारी, अनुप्रिया खरवार, सरिता जायसवाल, शांती देवी, सपना तिवारी, मीनू सिंह, सुलक्षणा तिवारी, नेहा गौतम, प्रीति जैन, संज्ञा शर्मा, इच्छा पटेल, आस्था सिंह यादव, जीना मोल, रेखा सिंह, कृपा शंकर वर्मा, मोहन साहू, प्रदीप मौर्या, प्रह्लाद सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, शशांक सिंह रमाकांत मिश्रा, मनोज सिंह, रमेश जोशी, राजेश जोशी, संकल्प शर्मा सीनियर, पल्लव शर्मा, प्रशांत सिंह, उदय सिंह, अशोक यादव, संजीव गोंसाईं, दिनेश पांडेय संकल्प शर्मा जूनियर, विवेक जोशी, भुवन पांडेय, अंशुल बंसल, आशीष तिवारी, आनन्द वर्मा, मुकेश चौरसिया, नवीन सिंह, ललित कुमार, जेपी गुप्ता, सुमित कश्यप कुलदीप, आलोक चौधरी, जय सिंह, नीरज मिश्रा, सचिन गुप्ता, प्रतीक चौहान, रामकुमार वाल्मीकि, शिवराज जय सिंह तोमर जैसे लोग रंजीत सिंह की मुहिम में शामिल होते गए और एक अकेले साहसी सैनिक के साथ लोगों के जुड़ने से “स्वच्छ पर्यावरण सेना ” का निर्माण हुआ।
इस संगठन में आज सैकड़ो लोग प्रत्येक रविवार अपना समय निकाल कर श्रम दान करते है और गोमती नदी की सफाई करते है साथ ही नियमित गोमती आरती भी की जाती है। 200 रविवार से यह कार्यक्रम अनवरत जारी है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी रहें मौजूद।
इस कार्यक्रम के मौके ओर उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी मौजूद रहे और स्वच्छ पर्यावरण सेना के सैनिकों को उत्साह वर्धन करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र, कैप देकर सम्मानित किया।मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा ने आदि गंगा गोमती माँ की आरती के बाद अपने संबोधन में जीवन दायिनी गोमती नदी को बचाने को लेकर जनता का आह्वान करते हुए कहा कि नदियों का जल अविरल धारा में बहे इसके लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है।
सरकार इस दिशा में प्रदेश की विभिन्न नदियों में गिरने वाले शहर के नालों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की ओर डायवर्ट कर रही है। जिससे हमारी नदियां शुद्ध व निर्मल रह सकें। साथ ही लखनऊ में गोमती नदी के तटों के सौन्दर्यीकर्ण में रंजीत सिंह के परिश्रम प्रयास को भी सराहते हुए प्रशंसा की। साथ ही साथ गोमती आरती के बाद उपस्थित जनसमूह ने गोमती को निर्मल बनाने का संकल्प लिया।