उत्तर प्रदेश। हापुड़ में वकीलों की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वकीलों का आरोप है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आदेश पर पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा। इस घटना के बाद हापुड़ के साथ-साथ पूरे प्रदेश के वकील सरकार एवं प्रशासन के विरोध में लगातार हड़ताल कर रहे है और न्याय की मांग कर रहे हैं।
क्या था मामला
घटना 29 अगस्त को हुई थी, जब कुछ वकीलों ने एक महिला वकील के खिलाफ दर्ज एक मामले का विरोध किया था। पुलिस ने वकीलों को पीटने के लिए लाठियों और रॉड का इस्तेमाल किया। कई वकीलों को चोटें आई हैं। हड़ताल के कारण हापुड़ के साथ-साथ राज्य के अन्य जिलों की भी कई अदालतों में कार्य बंद हैं। वकीलों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, वे हड़ताल जारी रखेंगे।
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सरकार ने किया था SIT का गठन
सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। SIT ने कहा है कि वह मामले की गहन जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। हालांकि, वकीलों का कहना है कि वे सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं करते हैं। वे मांग कर रहे हैं कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए।
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अधिवक्ताओं की हड़ताल से न्याय व्यवस्था प्रभावित
इस घटना के बाद अधिवक्ताओं ने रोष जताया और न्याय की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए। उन्होंने कहा कि पुलिस की इस कार्रवाई से वकालत का अपमान हुआ है। उन्होंने सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
हालांकि, सरकार ने इसके बाद अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
हापुड़ मामले में क्या बोले वकील
इस मुद्दे पर इंडियामित्र संवाददाता ने वकीलो से जब इस विषय पर बात की तो तो उन्होंने कहा यह घटना उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा वकीलों के खिलाफ बढ़ते हमलों का एक और उदाहरण है। पिछले कुछ महीनों में, राज्य में कई वकीलों को पुलिस द्वारा पीटा या प्रताड़ित किया गया है।
इंडियामित्र को बताते हुए बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के वाईस चेयरमैन अनुराग पांडेय ने कहा कि,”
आईएएस, पीसीएस को बनाये वकील, उन्ही से चलाए सरकार, वकीलो का तिरस्कार साबित करता है, की सरकार को वकीलो की जरूरत नही है।
वही सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार द्विवेदी ने कहा कि,”
सरकार जल्द से जल्द हमारी हापुड़ से सम्बंधित मांगे पूरी कर दे, ताकि कानून और न्याय व्यवस्था सुचारू एवं नियमित हो सके।
वही जब हमने इस विषय पर अवध बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष ललित किशोर तिवारी से उनकी राय जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि,”
ये जो 29 तारीख को हापुड़ में घटना हुई है, और 30 तारीख से पूरे प्रदेश में अधिवक्ता आंदोलन एवं हड़ताल चल रही है, और न्यायिक कार्य ठप्प है, आज 15 दिन हो गए है, और सरकार उसपे कोई संज्ञान नही ले रही है एवं वकीलो को तिरस्कृत भाव से देख रही है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, सरकार के इस कृत्य की हम घोर निंदा करते है। हम यह मांग करते है कि दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड किया जाए।
इस विषय पर अन्य वकीलो से बात करने पर यह पता चला कि प्रशासन के इस कृत्य से वकीलो में नाराजगी काफी ज्यादा है, इस विषय पर सेंट्रल बार एसोसिएशन के अधिवक्ता सौरभ वर्मा ने कहा कि,”
जब तक अधिवक्ताओं की मांगें जैसे एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट, घायल वकीलो को मुआवजा इत्यादि मांगे पूरी नही होंगी हम तब तक आंदोलन करते रहेंगे, एवं अगर हमारी मांगे न मानी गयी तो और उग्र आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि वे इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे और वे सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हैं।
पुलिस एवं अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग
वकीलों ने इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं पुलिसवालों को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से वकीलों का मनोबल गिरता है और वे अपने काम को स्वतंत्र रूप से नहीं कर पाते हैं।
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हड़ताल रहेगी जारी
वकीलों ने कहा कि वे तब तक हड़ताल पर रहेंगे जब तक कि दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता और सजा नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि वे सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं और वे इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं। यह घटना उत्तर प्रदेश में वकीलों के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गई है और वकीलों ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया है। वे सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे है।
इस घटना से वकीलों के अधिकारों और स्वतंत्रता पर सवाल उठाया गया है। वकीलों का कहना है कि पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई से वकीलों को डराने और धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे और वे न्याय की लड़ाई लड़ते रहेंगे।