एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित Bhopal Memorial Hospital & Research Centre (BMHRC) ने पहली बार मानसिक बीमारियों के इलाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के उपयोग की घोषणा की है। इस अत्याधुनिक पहल को नाम दिया गया है – “मानसिक स्वास्थ्य का तकनीकी “। यह महज़ एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि रोगी और तकनीक के बीच एक नई चेतना का आरंभ है।
इस योजना के तहत BMHRC और IISER भोपाल के बीच एक विशेष सहयोग समझौता (MoU) पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसके अंतर्गत वैज्ञानिक और चिकित्सक मिलकर मानसिक बीमारियों के निदान, इलाज और निगरानी के लिए AI आधारित टूल्स विकसित करेंगे।
एआई टूल्स या बेव बेस्ड प्लेटफार्म समझेंगे बीमारी

पूरी दुनिया में मानसिक रोगियों की पहचान और उपचार के लिए अब तक परंपरागत तरीकों जैसे बातचीत करना, फार्म भरना, काउंसलिंग करना आदि का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिये कई बार मरीज को होने वाली मानसिक बीमारी या समस्या की पहचान करने में ही काफी वक्त लग जाता है। मरीज का बार—बार अस्पताल आना भी अपने आप में चुनौती होता है। अब ऐसे एआई टूल्स या बेव बेस्ड प्लेटफार्म तैयार हो गए हैं, जो मरीज की बीमारी को समझने में मदद करते हैं। ये टूल्स वीडियो गेम की तरह होते हैं। इन एआई टूल्स की मदद से डिप्रेशन, एटेंशन डिफेसिट हाइपर डिसआर्डर, आटिज्म, डिसलेक्सिया आदि कई बीमारियों के उपचार किया जा सकेगा।

मानसिक स्वास्थ्य में पहली बार इतनी गहराई से तकनीक का प्रयोग
विशेषज्ञों के अनुसार, यह योजना सिर्फ तकनीकी नहीं, भावनात्मक क्रांति भी है। अब तक मानसिक रोगों का इलाज लगभग पूरी तरह मनोवैज्ञानिक निरीक्षण पर आधारित था। लेकिन अब AI की मदद से बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान संभव होगी, जिससे रोगियों की रिकवरी दर भी बढ़ेगी।
राज्य ही नहीं, देश के लिए भी मॉडल बनेगा भोपाल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को “मॉडल ऑफ इनोवेशन” घोषित करने की योजना बनाई है। यदि इस तकनीकी से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, तो इसे देश के अन्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों जैसे AIIMS, NIMHANS आदि में भी लागू किया जाएगा।