लखनऊ| उत्तर प्रदेश में मनरेगाकर्मी पिछले 14 वर्षो से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे है। भाजपा सरकार से उम्मीद लगाए रोजगार सेवक विभाग के मंत्री मोती सिंह से अपनी समायोजन और समान काम का समान वेतन की आस लगाए हुए है लेकिन जैसे जैसे सरकारी कार्यकाल खत्म होने की तरफ बढ़ रहा है मनरेगाकर्मियों का धैर्य टूटता जा रहा है।
मनरेगा महासंघ ने किया था आंदोलन का आवाहन
मनरेगा कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष भूपेश सिंह के आवाहन पर बीते सोमवार राजधानी लखनऊ में आंदोलन का आवाहन किया गया था। जिस पर प्रदेश से हजारों की संख्या में रोज़गार सेवक और मनरेगा कर्मचारी इको गार्डन में इकट्ठा हुए थे।
संजय दीक्षित को धरना स्थल पर बुलाने से मुकरे महासंघ के पदाधिकारी…बुलाकर कराई गिरफ्तारी
बकौल संजय दीक्षित महासंघ के महामंत्री अतुल राय के आमंत्रण पर देश भर में संविदाकर्मियों की आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता व रोजगार गारंटी परिषद ग्रामीण विकास मंत्रालय के पूर्व सदस्य संजय दीक्षित 4 बजे ईको गार्डन पहुंचे और रोजगार सेवकों को संबोधित करते हुए समान काम का समान वेतन, समायोजन और सेवा प्रदाता के माध्यम से होने वाली भर्ती कि मांगों पर संबोधित करते हुए संघर्ष में साथ देने की घोषणा की।
इस बीच महासंघ के नेताओं की ग्राम्य विकास के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्ता हुई और वरिष्ठ अधिकारियों ने महासंघ के मांग पत्र पर कार्यवाही के लिए 10 दिन का समय मांगा जिस पर महासंघ के नेताओं में सहमति जताई और धरना खत्म करने के लिए मान गए व मौक़े पर पहुँचे संजय दीक्षित को पुलिस ने गिरफ्तार करके आलमबाग थाने भेज दिया जहां आज लगभग 16 घण्टे थाने में रखने के बाद संजय दीक्षित को एसीपी कोर्ट दुबग्गा में पेश किया जाएगा।
संजय की गिरफ्तारी से मनरेगा कर्मियों में आक्रोश…सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी।
संजय दीक्षित की गिरफ्तारी की खबर चलने के बाद उत्तर प्रदेश के मनरेगा वेलफेयर गुट के लोगो ने सरकार व मनरेगा कर्मचारी महासंघ के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए संजय दीक्षित की गिरफ्तारी की निंदा की है।
मनरेगा कर्मचारियों के साथ धोखा हुआ है :संजय
संजय दीक्षित का कहना है,
“इको गार्डन का महासंघ के धरना प्रायोजित धरना था जिसमें महासंघ के नेताओं की भूमिका सही नही है, सब कुछ अधिकारियों के प्लान के मुताबिक हो रहा है और आसानी से अधिकारियों और दलाल नेताओं में मनरेगा कर्मचारियों में जबरदस्त गुटबाजी उत्पन्न कर दी है।
जिस तरह मनरेगाकर्मियों के बीच प्रादेशिक स्तर पर गुटबाजी चल रही है ऐसे में मनरेगाकर्मियों की मांगें पूरा होना तो दूर उनके अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो जाएगा, मनरेगा महासंघ के नेताओं ने व्यक्तिगत लाभ के लिये उत्तर प्रदेश के मनरेगाकर्मियों की बलि देने का काम किया है।
इस लोकतंत्र में अपनी बात को गाँधीवादी तरीके से रखने वाले को गिरफ्तार किया जाता है और दलालों को इज्जत बख्शी जाती है और इसका प्रमाण ये है कि कल के आंदोलन के आयोजक एक भी नेता को पुलिस ने नहीं छुआ और मुझे अकेले गिरफ्तार कर लिया गया, आगे जो भी हो ,इतिहास साक्षी है कि परिवर्तन कभी चापलूसी और दलालों के माध्यम से नही आया परिवर्तन बलिदान मांगता है और देश के करोड़ो मनरेगा कर्मीयो और युवाओं को बंधुआ मजदूर बनने से बचाने के लिए जब तक जीवित संघर्ष रत रहूंगा।