मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित भारतीय नागरिकों को प्रदान किए गए वे अधिकार हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।
इसलिए संविधान के अध्याय 3 को भारत का अधिकार – पत्र मैग्नाकार्टा कहा जाता है। इस अधिकार-पत्र द्वारा ही अंग्रेजों ने सन् 1215 में इंग्लैण्ड के सम्राट जॉन से नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त की थी। यह अधिकार-पत्र मूल अधिकारों से सम्बन्धित प्रथम लिखित दस्तावेज है। इस दस्तावेज को मूल अधिकारों का जन्मदाता कहा जाता है
जब संविधान बना था तब उस समय संविधान में कुल 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं | संविधान में संवैधानिक संशोधनों के पश्चात अनुसूचियों की संख्या 8 से बढ़कर 12 हो गई है । संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अंतर्गत क्रमशः संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा 11वीं एवं 12वीं अनुसूची को संविधान में सम्मिलित किया गया हैं ।
आइए जानते हैं भारतीय संविधान मैं मौलिक अधिकार से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद
- अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
- अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
- अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
- अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
- अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
- अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
- अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण\
- अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
- अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
- अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
- अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता\
- अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
- अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
- अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार\
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