पौष व चैत्र दोनों सौरमास खरमास कहलाता है। अन्य प्रचलित कथा के अनुसार इस महीने सूर्य के रथ में खर (गदहा) जुड़ा रहता है। क्योंकी थका हुआ घोड़ा विश्राम करता है। चूंकि सूर्य के रथ को खर खींचता है इसलिए इस मास को खर-मास कहते हैं।
खरमास हिंदू धर्म में ऐसा समय होता है जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं। यह घटना हर साल दो बार होती है। खरमास को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना गया है, इसलिए इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे अन्य शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय भगवान की भक्ति, पूजा-पाठ और आत्मशुद्धि के लिए सर्वोत्तम होता है।
खरमास का प्रारंभ और समापन
खरमास के दौरान भगवान सूर्य देव और विष्णु जी की पूजा करना फलदायी होता है। इस साल खरमास 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है और समाप्त 14 जनवरी 2025 को होगा। यानी कि मांगलिक कार्य के लिए 15 दिसंबर तक का समय है
खरमास का आध्यात्मिक महत्व
खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक लगाना एक आध्यात्मिक संदेश है। यह समय आत्ममंथन, ध्यान और भगवान की भक्ति में बिताने का होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में किए गए दान, जप और तप का कई गुना फल मिलता है। विशेष रूप से तुलसी पूजा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
खरमास में तुलसी पूजा का महत्व
खरमास के समय तुलसी में प्रतिदिन जल चढ़ाना और दीपक जलाना शुभ होता है। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि तुलसी पूजन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं।
खरमास के दौरान पूजा पाठ करनी चाहिए परंतु उसमें काफी पवित्रता और शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए इस दौरान प्रयास करें कि कोई भी मांगलिक कार्य न करें। खरमास में तुलसी माता की पूजन को विशेष महत्व दिया गया है तुलसी माता की पूजन में सुबह के समय उनके स्थान को पवित्र करके उसमें जल अर्पण करना चाहिए और शाम के समय माता तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाना चाहिए ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है ऐसे करने वाले भक्त की माता परिवार सुख समृद्धि और संपन्नता बनाए रखती हैं।
शुभ कार्यों पर लग जाती है रोक
खरमास को अशुभ समय माना जाता है, जब कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है। विवाह, सगाई, नया व्यापार आरंभ करना, मुंडन आदि शुभ कार्य एक महीने की इस अवधि में बंद रहेंगे
आईए जानते हैं कि इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए
- खरमास के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
- इसके अलावा मुंडन, गृह प्रवेश और सगाई समेत आदि कार्य नहीं करनी चाहिए।
- खरमास में घर बनवाने की शुरूआत न करें।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- किसी का अपमान और वाद-विवाद न करें।
- नया वाहन और मकान न खरीदें।
खरमास में नए कपड़े खरीदने से बचना चाहिए। इस महीने में ग्रह अच्छा परिणाम नहीं देते हैं। जिसक वजह से कपड़ा खरीदना अशुभ माना जाता है।