गोवर्धन पूजा का दूसरा नाम अन्नकूट पूजा भी है. इस दिन भगवान कृष्ण और गिरिराज पर्वत की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है. इस बार गोवर्धन पूजा आज यानी 2 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है. पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व का यह चौथा दिन होता है
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाकर उनकी परिक्रमा की जाती है. इस दिन पूजा के दौरान गोवर्धन कथा का पाठ करना बेहद जरूरी होता माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इस कथा के पाठ से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है
पौराणिक कथा
गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं का स्मरण कराता है. इस पूजा में विशेष रूप से गोवर्धन पर्वत, गाय की कृपा के लिए हमारी कृतज्ञता को प्रकट किया जाता है. आइए पढ़ते हैं गोवर्धन की भागवत कथा…
शास्त्रों में वर्णित गोवर्धन पूजा कथाओं के अनुसार, द्वापर युग की बात है एक बार देवराज इंद्र को अपनी पूजा आदि किए जाने का अहंकार हो गया. उस समय द्वापर युग में धरती पर लीला कर रहे भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अंहकार तोड़ने का सोचा
श्रीकृष्ण ने यशोदा मय्या से किया सवाल
एक बार जब सभी बृजवासी अन्नकूट के लिए पकवान बना रहे थे और इंद्रदेव की पूजा की तैयारी कर रहे थे तो कान्हा ने यशोदा मां से पूछा, “मईया, ये आप लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं? मां यशोदा ने कहा, लल्ला हम देवराज इंद्र की पूजा करने जा रहे हैं. वह वर्षा करते हैं जिससे हमारी फसलें उग पाती हैं. भगवान कृष्ण ने कहा, मईया हमें तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं और इंद्र का दर्शन भी नहीं होता और वह तो पूजा न करने पर क्रोधित भी हो जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज के वासियों से इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा. श्रीकृष्ण की इस सलाह पर सभी बृजवासी इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. जब इंद्रदेव को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी. इस बारिश ने सभी बृजवासी भयभीत हो गए और उन्होंने भगवान कृष्ण को दोषी ठहराना शुरू कर दिया और बचाने के लिए उन्हें ही कुछ उपाय बताने के लिए कहने लगे.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह आकृति भगवान श्रीकृष्ण के एक मित्र गोधन की है. कथा के अनुसार, एक बार गोधन ने गोपियों के संग रास करने की इच्छा जताई और श्रीकृष्ण का रूप धारण करदीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।