वर्ष 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को पड़ रहा है करवा चौथ का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है इस दिन महिलाएं खास तौर पर सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं और उनके लिए व्रत रखती हैं एवं सहायक कल के समय पूजन करके चांद देखने के बाद अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ के व्रत में कथा भी कही जाती है आज इस लेख में हम ऐसी ही एक पौराणिक कथा के बारे में जानेंगे जो करवा चौथ के व्रत में कहीं जाती है।
यह व्रत शुभ मुहूर्त में करना चाहिए लखनऊ में चांद निकलने का सही समय शाम को 7:42 बताया गया है। आईए जानते हैं कि क्या है करवा चौथ व्रत की पौराणिक कथा –
पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था।
एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची।
उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा की मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।
करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं की तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूंगी।
करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया।
तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं