रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है। यह पवित्र पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।भाई-बहनों के अटूट प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन 19 अगस्त को दिन सोमवार को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन मनाने से भाई बहन दोनों को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
एक प्रसिद्ध कहानी है राजा बलि और माता लक्ष्मी के बारे में…
राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया था। भगवान विष्णु ने राजा बलि की पूजा स्वीकार की और उनके घर में रहने लगे।
एक दिन, माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा कि वे राजा बलि के घर से जाना चाहती हैं। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को राजा बलि के पास जाने की अनुमति दी और कहा कि वे अपनी रक्षा के लिए एक राखी बांध दें।
माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें एक राखी बांधी और कहा, “तुम मेरे भाई हो और मैं तुम्हारी बहन हूँ। तुम्हें मेरी रक्षा करनी होगी।”
राजा बलि ने माता लक्ष्मी की रक्षा का वचन दिया और कहा, “मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और तुम्हारी सेवा करूँगा।”
इस तरह, राजा बलि और माता लक्ष्मी के बीच एक पवित्र बंधन बन गया, जो रक्षा बंधन के रूप में जाना जाता है।
यह कहानी रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाती है और बताती है कि कैसे एक भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है।
कृष्ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन
रक्षाबंधन की सबसे पहली कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। महाभारत के समय एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था। ये देखकर द्रौपदी जो कृष्ण जी की सखी भी थी उन्होंने आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई जैसा कि आप सब जानते हैं कि जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था तब श्रीकृष्ण ने ही उनकी लाज बचाकर सबसे उनकी रक्षा की थी।