हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 18 अप्रैल, गुरुवार को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू हो चुका है, जिसका समापन आज यानी 19 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 04 मिनट पर होगा।
गृहस्थ आश्रम के अनुसार आज यानी 19 अप्रैल, शुक्रवार को कामदा एकादशी व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके सभी पापों का भी नाश हो जाता है। इस एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
एकादशी व्रत करने से प्राप्त होती है भगवान की विशेष कृपा….
एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है। एकादशी के व्रत सच्चे मन से करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है
पद्म पुराण और अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करने वाली है। कामदा एकादशी के व्रत करने से और कथा सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य मिलता है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी दोषों का निवारण होता है और भक्तों की सभी कामनाएं पूरी होती हैं।
कामदा एकादशी का व्रत करने की विधि
एकादशी के व्रत में विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करके एकादशी का व्रत रखना चाहिए आईए जानते हैं कि क्या है एकादशी व्रत करने की विधि ….
- कामदा एकादशी का दिन सुबह जल्दी उठें और अपने इष्ट देवी देवता का ध्यान करें।
- इसके बाद हो सके तो पीले रंग के वस्त्र धारण करें। फिर एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को अक्षत, हल्दी, चंदन और फूल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें।
- साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ भी करें।
कामदा एकादशी की व्रत कथा
प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का राजा था, जो भोग-विलास में डूबा रहता था। उसके राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष बहुत प्रेम से रहा करते थे। एक दिन राजा की सभा में ललित गीत गा रहा था लेकिन तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी पर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया। यह देखकर राजा पुंडरीक बहुत क्रोधित हुआ और उसने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बनने का शाप दे दिया। ललित मांस का भक्षण करने वाला राक्षस बन गया। अपने पति का हाल देखकर राजा की पत्नी बहुत दुखी हुई।
अपने पति को ठीक करने के लिए ललिता ने कई लोगों से पूछती हुई आखिरकार ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई। वहां जाकर उसने अपने पति का पूरा हाल कह सुनाया। ऋषि ने ललिता को मनोकामना पूरी करने वाला व्रत कामदा एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। साथ ही ऋषि ने कहा कि अगर वे कामदा एकादशी का व्रत रखती है, तो उसके पुण्य से उसका पति ललित फिर से मनुष्य योनि में आ जाएगा। ललिता ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान के साथ कामदा एकादशी का व्रत किया।
ऋषि के बताए अनुसार उसने चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत किया और अगले दिन द्वादशी को पारण करके व्रत को पूरा किया। इस तरह व्रत पूरा होने पर भगवान विष्णु ने ललिता के पति को फिर से मनुष्य योनि में भेजकर राक्षस योनि से मुक्त कर दिया। इस प्रकार दोनों का जीवन कष्टों से मुक्त हो गया और अंत में दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
कामदा एकादशी का महत्व
कामदा एकादशी मोक्ष प्राप्त करने का दिन है और इस प्रकार पूरे भारत में, विशेष रूप से बैंगलोर जैसे दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में, पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र कामदा एकादशी सभी पापों को क्षमा कर देती है और व्यक्ति को ‘मोक्ष’ प्राप्त करने में सहायता करती है।