अरथ / नाम: चंद्रघंटा = चन्द्र (चाँद) + घंटा (घंटी/घण्टा)। उनके माथे पर अर्धचंद्र के साथ घंटा जैसा भाव माना जाता है।
स्वरूप: उनके चेहरे का भाव शांत दऔरयालु है, पर उनका रूप माता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवार की देवी हैं। उनके तीसरे रूप में वे दह हाथ-ग्यारह हाथ/दस हाथ लिये दिखती हैं (ग्रंथों में भेद है) — जिनमें त्रिशूल, खड्ग/तलवार, गदा, धनुष-बाण, कमण्डल, त्रिशूल आदि होते हैं।
सवारी: अक्सर माता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवारमाता चंद्रघंटा को सिंह या बाघ पर सवार दिखाया जाता है — यह साहस और भय दूर करने का प्रतीक है।
रंग/लक्षण: श्वेत-ज्योति या सुनहरा रूप, शांत मुख और युद्ध-सामर्थ्य का मिश्रण। वे भय, पीड़ा और पाप नष्ट कर, भक्तों को साहस और संतुल
न देती हैं।
कब पूजन: नवरात्रि के तीसरे दिन को विशेष रूप से चंद्रघंटा माता की पूजा का दिन माना जाता है।
चंद्रघंटा काछोटा स्तोत्र/आराधना व सुझाव — आसान छोटा स्तोत्र/आराधना व सुझावचरण
1. पहले स्वयं स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनें।
2. पूजा स्थान साफ़ कर, साफ कपड़ा बिछाएँ; अगर हो सके तो गंगा जल या साफ पानी छिड़क दें।
3. दीप (घी/तेल में), अगरबत्ती, अक्षत (अन्न), फूल (सफ़ेद/पीले/गेरू) रखें।
4. संकल्प लें — मन में निश्चय करें कि किस हेतु माँ से प्रार्थना कर रहे हैं।
5. शुद्धि के लिए 3 बार प्राणायाम/धीरे-धीरे सांस लें ताकि मन शांत हो।
6. नीचे दिया मंत्र जप करें (11, 21, 51 या 108 माला के अनुसार)। जप के समय धैर्य व श्रद्धा रखें।
शुद्धि / जप मंत्र (संक्षिप्त और प्रभावी)
(देवनागरी और ट्रांसलिटरेशन दोनों दे रही हूँ)
संक्षिप्त बीज-स्वरूप (एक शब्द):
ह्रीं — यह माता का शक्तिबीज है (बीज-मन्त्र)।
साधारण जप मंत्र (सुरक्षा के साथ):
ॐ चंद्रघण्टायै नमः
(Transliteration: Om Chandraghantayai Namah)
/शुद्धि-जप (प्रभावी रूप):
ॐ ऐं ह्रीं चंद्रघण्टायै नमः
(Transliteration: Om Aim Hreem Chandraghantayai Namah)
माँ को मोदक/लड्डू/किसी भी शुद्ध प्रसाद का भोग लगाएँ और बाद में सभी को बाँट दें।
7. जप के बाद आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।
विधि: शांत मन से यह मंत्र 11 / 21 / 108 बार जप कर सकती हैं। माला का प्रयोग कर लें — हर जप में श्रद्धा और उद्देश्य रखें।
अगर आप चाहें तो चंद्रघण्टा स्तोत्र (जो ग्रंथों में मिलता है) पढ़ सकती हैं — पर छोटे घर में ऊपर दिए मंत्र और 11–108 जप, दीप-फूल अर्पण, और सच्चे मन से प्रार्थना काफी है।
समय: ब्रह्मीह/सुअवसर में या सुबह-शाम; नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष फलदायी माना जाता है।
बैठकर मंत्र जप के दौरान मन से अपने भय/संकट का उल्लेख करें — माँ का रूप भय हराने वाला है, इसलिए डरो मत, सच्ची श्रद्धा रखो।