शिवरात्रि की पूजा सभी जगह बड़ी विधि विधान से की जाती है, यह पूजा भगवान शिव माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन मंदिर में भी काफी भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि सभी लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं। वैसे भगवान शंकर सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं परंतु जो व्यक्ति शिवरात्रि के दिन शिव जी और माता पार्वती का व्रत रखता है एवं विधि विधान से उनकी पूजा आराधना भक्ति भाव से करता है भगवान उनके सभी मनोरथ पूर्ण करतें हैं और और माता पार्वती अपने भक्त को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करते हैं।
इसी दिन होगी शिवरात्रि की पूजा..
महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पार्वता और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कब है महाशिवरात्रि जानें तारीख और महत्व।
महाशिवरात्रि की तारीख
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि की विधि
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करके पूजा का संकल्प लें। इसके बाद गंगा जल मिलाकर पानी से स्नान करें।
इसके बाद कोई नया वस्त्र पहने और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद कच्चे दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें।
भगवान शिव को भांग धतूरा, फल, मदार के पत्ते बेल पत्र आदि अर्पित करें। साथ ही शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ करें। साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपना व्रत खोलें।