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वैशाख मास के शुल्क पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस बार मोहिनी एकादशी 19 मई को मनाई जा रही है। अगर इस दिन भगवान विष्णु की उपासना और एकादशी का व्रत विधि विधान से किया जाए तो ये जातक को इतना फल देती है कि जीवन से कष्ट और दरिद्रता से मुक्ति मिल सकती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।

माना जाता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए जिसके घर में तुलसी मां की पूजा की जाती है जल चढ़ाया जाता है अथवा तो दीपक जलाया जाता है। उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है उसके घर में संपन्नता आती है। उसका घर सदैव खुशियों से भरा रहता है।

जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ” कोई और नही बल्की स्वयं भगवान नारायण के 8 वे अवतार भगवान श्री कृष्ण ही है । द्वापर युग के बाद भगवान श्री कृष्ण पुरी में आकर वास करने लगे थे। जगन्नाथ पुरी भगवान के चार धामों में से एक धाम है। यहां पर भगवान श्री कृष्णा अपने बड़े भाई बलराम और  बहन सुभद्रा के साथ विराजे हुए हैं।

हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 18 अप्रैल, गुरुवार को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू हो चुका है, जिसका समापन आज यानी 19 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 04 मिनट पर होगा। 

नवमी के दिन पूजी जाने वाली देवी मां सिद्धिदात्री का स्वरूप गौर, दिव्य और शुभता प्रदान करने वाला है। मां सिंह वाहन और कमल पर भी आसीन होती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है। मां को बैंगनी और लाल रंग अतिप्रिय होता है। माना जाता है मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया।

अष्टमी तिथि के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात महागौरी की पूजा में श्वेत, लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें एवं सर्वप्रथम कलश पूजन के पश्चात मां की विधि-विधान से पूजा करें। देवी महागौरी को चंदन, रोली, मौली, कुमकुम, अक्षत, मोगरे का फूल अर्पित करें व देवी के सिद्ध मंत्र श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: का जाप करें।

मान्यता है कि सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है और भय समाप्त होता है। जो भक्त निश्चल भाव से माता की पूजा करते हैं।  श्रद्धा व भक्ति भाव से पूजा करने से कालरात्रि माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होती है और उन्हें विशेष आशीर्वाद प्रदान करती हैं उनके जीवन को सुख समृद्धि और खुशियों से भर देती है।

नवरात्रि के छठे दिन मां का कात्यायनी की पूजा करने के लिए के लिए सुबह नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लेना चाहिए।मां कात्यायनी को पीला रंग प्रिय है इसलिए पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है।

नवरात्रि के पांचवें दिन स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का पांचवा रूप स्‍कंदमाता कहलाता है। प्रेम और ममता…