58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के नाम की घोषणा कर दी गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार में संस्कृत साहित्य के लिए जगतगुरु रामभद्राचार्य तथा उर्दू के लिए गीतकार गुलजार का चयन किया गया। हिंदी फिल्मों को अपने नगमा से सजाने वाले गुलजार ने हिंदी फिल्म जगत में काफी योगदान दिया है उन्होंने शायरी लिखने के साथ-साथ कई हिंदी फिल्म के गाने भी लिखे हैं। गुलजार को उर्दू के लिए पांचवीं बार यह पुरस्कार दिया जा रहा है।अब तक कुल चार पुरस्कार उर्दू के लिए दिए जा चुके हैं। वहीं यदि हम बात करें रामभद्राचार्य की तो संस्कृत साहित्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले रामभद्राचार्य द्वितीय महापुरुष है।
क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार?
ज्ञानपीठ पुरस्कार देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पुरस्कार है।इस पुरस्कार में चयनितकर्ता को 11 लाख रुपए की राशि तथा वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
संस्कृत के लिए चुने गए रामभद्राचार्य
संस्कृत साहित्य के लिए रामभद्राचार्य को चुना गया है। संस्कृत साहित्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले जगतगुरु रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 में जौनपुर जिले के खादी खुर्द गांव में हुआ था। हम आपको बता दे कि वर्ष 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु की साथ-साथ शिक्षक और सबसे अधिक पुस्तकों के लेखक भी हैं। इसके अलावा रामभद्राचार्य जी रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगतगुरू रामानंदचार्यो में से एक माने जाते हैं और इस पद पर 1988 से हुए प्रतिष्ठित है।
जगतगुरु रामभद्राचार्य को 22 भाषाओं का ज्ञान है उन्होंने संस्कृत हिंदी अवधी और मैथिली समिति कई भाषा में रचनाएं भी लिखी हैं 240 से अधिक पुस्तक की और ग्रंथ की रचना भी उन्होंने की है।
उर्दू के लिए चुने गए गुलजार
हिंदी फिल्म जगत में अपना विशेष नाम बनाने वाले गुलजार को वर्ष 2024 में दिए गए 58 वे ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनको उर्दू के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा।हिंदी फिल्मों को अपने नागमन से सजाने वाले गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 में पाकिस्तान की जिला जिला में हुआ था गुलजार को इससे पहले भी उनके अतुलनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं। आईए जानते हैं कि कौन-कौन से पुरस्कार इन्होंने प्राप्त किये –
- वर्ष 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
- वर्ष 2004 में पद्म भूषण और पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- वर्ष 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- गुलजार को उनके पहले गीत ‘मेरा गोरा अंग लै लै’लेते के लिए भी पुरस्कार दिया गया था।
गुलजार की प्रमुख कृतियां एवं गाने
हिंदी साहित्य जगत में अपना बेहतर योगदान देने वाले गुलजार कई रचनाएं तथा गाने लिखे हैं जैसे
एक बूंद चाँद,चौरस रात,रवि पार,कुछ और नज्में, यार जुलाहे,गुलजार का पहला गीत मोरा गोरा अंग लै लै हैं।
यदि मशहूर गीतों की बात करें तो उनमें यह जिंदगी गले लगा ले आने वाला पल जाने वाला पल है तुझसे नाराज नहीं जिंदगी मुसाफिर हूं यारों जैसे नगमो का जखीरा है। उन्होंने कोशिश, परिचय,अचानक,आंधी,खुशबु,मौसम, अंगूर, लिबास, माचिस, हूं तू हूं जैसी फ़िल्में भी बनाई है