सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ओम बिरला लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बन गए हैं।राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार और कोटा से सांसद ओम बिरला को बुधवार को 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश किए गए और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा समर्थित प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया।
क्यों डिप्टी स्पीकर विपक्ष का बनाया जाता है ?
आमतौर पर स्पीकर सत्तारूढ़ दल का ही होता है और उपाध्यक्ष यानी डिप्टी स्पीकर विपक्ष से चुना जाता है।
इस बार भी स्पीकर का चुनाव सर्वसम्मति से हो सकता था लेकिन सत्तापक्ष ने विपक्ष की यह मांग ठुकरा दी कि परंपरा के मुताबिक़ डिप्टी स्पीकर का पद उसे दिया जाए जो योग्य हो।
परंपरा के मुताबिक़ पहली लोकसभा यानी 1952 से लेकर 1991 में दसवीं लोकसभा तक तो सत्तारूढ़ दल का सदस्य ही इस पद के लिए निर्वाचित होता रहा। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि डिप्टी स्पीकर का पद ऐसे व्यक्ति को दिया जाना चाहिए जो विपक्ष दल का सबसे श्रेष्ठ नेता हो क्योंकि यदि सत्ता पक्ष को ही यह डिप्टी स्पीकर के पद पर चुना जाएगा तो सत्ता में बैठी सरकार निरंकुश हो जाएगी इसलिए डिप्टी स्पीकर का पद विपक्षी के नेता को सौपा जाना चाहिए ताकि वह सत्ता के गलत कार्यों पर रोक लगा सके।
जाने क्यों पड़ी स्पीकर पद की जरूरत ?
भारत की शासन प्रणाली वेस्टमिंस्टर मॉडल का अनुसरण करती है, यही कारण है कि देश में संसद की कार्यवाही का नेतृत्व एक पीठासीन अधिकारी करता है, जिसे लोकसभा स्पीकर कहा जाता है। सदन के अध्यक्ष की महत्ता के बारे में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र में अध्यक्ष सदन की गरिमा और स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है। चूंकि संसद देश का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए अध्यक्ष पद एक हिसाब से देश की स्वतंत्रता का प्रतीक बन जाता है।