द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को औपचारिक रूप से देश की राष्ट्रपति चुन ली गई हैं। जब गुरुवार को नतीजा आया तो एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उम्मीद से अधिक वोट मिले तो विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा अपने पूरे क्षेत्र का वोट भी पाने में भी असफल रहे हैं।
उनके नामांकन के बाद से ही उनकी जीत लगभग तय ही थी उत्सुकता जीत के सिर्फ अंतर को लेकर थी परंतु गुरुवार को यह भी तय हो गया कि भारत का 15वा राष्ट्रपति कौन बनेगा।
विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से लगभग 70% अधिक वोट पाकर द्रौपदी मुर्मू अब तक के सबसे अधिक वोट से जीतने वाली राष्ट्रपति बन गई हैं।
श्री मति द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं और पहली आदिवासी तथा दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी है इस पर देश को गौरव हो रहा है हम आपको बता दें कि देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी।

आदिवासी समाज को मिली नई ताकत
स्वभाव से विनम्र द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बना कर बीजेपी ने व्यापक संदेश देने की कोशिश की है देश में लगभग 100 से ज्यादा ट्राईबल्स बहुल लोकसभा सीट पर भी बीजेपी अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती थी।
द्रौपदी मुर्मू एक ऐसे समाज से आते हैं जहां पर आदिवासियों को न तो उनके अधिकार दिए जाते हैं और ना ही उनके अधिकारों पर पूर्णतया ध्यान दिया जाता है परंतु अब वे दिन दूर नहीं जब आदिवासियों को भी सभी के समान अधिकार दिए जाएंगे और जो भी नियम कानून बनाए जाते हैं उन पर पूर्णतया अमल भी किया जाएगा।
हम आपको बता दें कि 2019 में बीजेपी को इनमें आदिवासियों के अधिकतर सीटों पर जीत मिली थी। सरकार ने इसी विचार को ध्यान में रखते हुए बिरसा मुंडा के जन्म दिवस 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा भी की थी। 2014 से पहले बीजेपी के सामने अपना सामाजिक विस्तार बढ़ाने की सबसे अधिक चुनौती होती थी और 2014 के बाद इसका रास्ता भी साफ हो गया

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद आदिवासी समाज को एक नई ताकत मिली और अपनी आवाज बुलंद करने की शक्ति मिली। आदिवासियों को उम्मीद है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद आदिवासियों से संबंधित बनाए गए सभी नियमों और कानूनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और उनके अधिकारों को उन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
ससुराल में भी मना जश्न का माहौल
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके ससुराल घर सभी जगह खुशियां मनाई गई कि उड़ीसा की बेटी अब भारत की प्रथम नागरिक व देश की 15वी राष्ट्रपति बन गई है। उड़ीसा के मयूरभंज जिले के रंगपुर शहर स्थित मुर्मू के घर के बाहर लोगों का काफी जमावड़ा लगा हुआ है। सभी आदिवासी संगीत पर थिरक रहे हैं। जश्न का ऐसा ही नजारा जिले के पहाड़पुर गांव में भी देखने को मिल रहा है। जहां पर इनका ससुराल है। एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करने वाले उड़ीसा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल के कार्यकर्ताओं समेत आम लोगों ने भी मिठाइयां बांटी हैं और जमकर उत्साह से खुशियां मना रहे हैं।

राजनीति जीवन का प्रारंभ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है उन्होंने अपनी जिंदगी में सबसे पहले तो अपने दो बेटों को और फिर अपने पति को खो दिया ।वर्तमान में उनकी पास मात्र उनकी एक बेटी है, जिसके सहारे अपना जीवन यापन कर रही है। परंतु अब किसी के सहारे नहीं है कि कि वे स्वयं आत्मनिर्भर और सक्षम है।
उड़ीसा के मयूरभंज जिले के निवासी द्रौपदी मुर्मू ने रामादेवी विमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद राज्य सरकार में नौकरी शुरू की है उसके पश्चात पहले सचिवालय में और फिर शिक्षक की नौकरी भी इन्होंने की। कहते हैं समय और प्रारब्ध व्यक्ति के कर्म से बदलता है। इनकी की जिंदगी में भी कुछ बदलाव आया और जब ये 1997 में राजनीति में उत्तरी।
1997 में उन्होंने सबसे पहले नगर पंचायत के चुनाव लड़े और उसमें जीत हासिल किया ।उन्होंने प्रारंभ से ही बीजेपी पार्टी को चुना था तब से लगातार बीजेपी में उनका ग्राफ ऊपर बढ़ता गया । बीजेपी के अंदर उनका सम्मान शुरू से ही रहा है। राष्ट्रपति बनने से पहले ये 2015 से 2021 तक झारखंड की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं।वर्तमान 2022 में द्रौपदी मुर्मू ने भारत की 15वीं और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनकर सभी को गौरवान्वित किया है।
लोगों से मिली शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी द्रौपदी मुर्मू को दिया राष्ट्रपति होने की शुभकामनाएं

” श्री मति द्रौपदी मुर्मू ने सदैव जनता की आशाओं और इच्छाओं को वाणी दी है। आम जन की समस्याओं के समाधान में उनकी अहम भूमिका रही।” –ओमप्रकाश बिरला लोक सभा स्पीकर
“हर भारतीय उम्मीद करता है कि 15 राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू बिना किसी डर या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में काम करेंगे”। – यशवंत सिन्हा
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