हरियाणा के सिरसा जिले में डबवाली की रहने वाली एक गरीब परिवार की लड़की जब सब इंस्पेक्टर बनकर आई तो परिवार वालों की आंखों से आंसू निकल पड़े उनके लिए यह सफलता एक बहुत बड़ी सफलता थी जिसके मायने उनकी नजरों में अन्य लोगों से ज्यादा थे।
जाने संघर्ष की पूरी कहानी
कर दिखाने का मौका, जब भी किस्मत देती है।
गिन के तैयारी के दिन तुझको मोहलत देती है।
मांगती है लागत में,तुझसे हर बूंद पसीना
पर मुनाफा बदले में,ये जान ले बेहद देती है
किसी ने सही कहा है कि अगर कुछ कर गुजरने की मन में इच्छा है तो कामयाबी अवश्य मिलती है क्योंकि मेहनत के साथ ईश्वर का आशीर्वाद भी होता है । ऐसा ही बड़ा मुकाम हासिल किया डबवाली में रहने वाली आरती ने।
आरती ने इस बार की हरियाणा सब इंस्पेक्टर की भर्ती में आवेदन किया पूरे मन से परीक्षा की तैयारी करके उसमें सफलता हासिल की। हरियाणा सिरसा की रहने वाली आरती का चयन हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर हुआ है।
लोगों ने फूल मालाओं से किया आरती का स्वागत
आरती की पुलिस में नौकरी मिलने की सूचना के बाद उसके परिवारजनों और उसके मोहल्ले वासियों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा । घर पर बधाइयों का तांता सा लग गया। आरती के पिता बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि उनकी बिटिया हरियाणा की सिरसा जिले की दरोगा बन गई है। पूरा परिवार बहुत ही उत्साहित था की पहली बार अपनी बेटी को वर्दी में देखेंगे। जैसे ही आरती हरियाणा पुलिस की वर्दी पहन कर अपने घर लौटी तो आरती के परिजनों और उसके पड़ोसियो ने फूलो की मालाओं के साथ आरती का स्वागत किया।
आरती क्यों कतरा रही मीडिया के सामने आने से
असल में आरती एक छोटे से गरीब परिवार की रहने वाली लड़की है । उन्होंने दुनिया की चकाचौंध भरी चमक को कभी नहीं देखा।
वह ग्रामीण परिवेश से जुड़ने के कारण अपने गांव क्षेत्र तक ही सीमित रही। यही कारण है कि आरती मीडिया का सामना नहीं कर पा रही हैं। परंतु एक गरीब की बेटी को हरियाणा पुलिस में नौकरी मिलने से डबवाली इलाके के लोग गदगद दिखाई दे रहे हैं आरती के परिजनों ने हरियाणा सरकार का भी आभार जताया।
35 सालों से जूते सिलने का काम करते थे पिता
मीडिया से बातचीत करते हुए आरती के पिता तरसेम लाल ने बताया कि वह अपने घर पर ही पिछले 35 सालों से जूते बनाने का काम करते थे इस छोटे से धंधे के जरिए उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और उन्हें योग्य बनाया। साथ ही इसी आमदनी से भी अपने परिवार का गुजारा भी करते है।
दयनीय थी आर्थिक स्थिति
आरती के पिता बताते है कि उनकी दो लड़कियां तथा एक लड़के मिलाकर कुल 3 बच्चे हैं जिसमें दोनों लड़कियों ने बीए पास किया है जबकि लड़का बी ए. की पढ़ाई कर रहा है। तरसेम लाल के मुताबिक गरीब होने की वजह से उनका कोई भी राजनीतिक संबंध नहीं था और ना ही परिवार जनों से बहुत अच्छा तालमेल था ।
गरीबी उनका लेनदेन का सिस्टम भी बिगड़ा हुआ था। उनकी बेटी आरती लगातार लगन से अपनी पुलिस की तैयारी में लगी रहती थी दिन-रात बस पढ़ती रहती थी यहां तक कि उसका कहीं आना जाना भी नहीं था।
- एक गरीब पिता की बेटी के सब इंस्पेक्टर बनने पर लोगों ने दी बधाई
- घर पर ही जूते सिलने का काम करते थे आरती के पिता
- आरती के परिजनों की आर्थिक स्थिति सही ना होने के कारण सिफारिश और पैसे दोनो से थे कमजोर