भारतीय संविधान के पांचवे भाग के अंतर्गत अनुच्छेद 79 से 122 में संसद के गठन, संरचना, अवधि, अधिकारियों, प्रक्रिया, विशेषाधिकार और शक्तियों के बारे में बताया गया है|
भारतीय संसद भारतीय गणराज्य का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह तीन अंगों से मिलकर बना है
- यह भारत के राष्ट्रपति
- राज्यसभा(राज्यों का सदन)
- लोकसभा (लोगों का सदन) से बना
यह एक द्विसदनीय विधानसभा है। राष्ट्रपति को विधायिका के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका में संसद के सदन को बुलाने और सत्रावसान करने या लोकसभा को भंग करने की पूरी शक्ति है। राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग केवल प्रधानमंत्री और उनकी केंद्रीय मंत्री परिषद की सलाह पर ही कर सकता है।
संसद के किसी भी सदन के लिए राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचित या मनोनीत लोगों को संसद सदस्य कहा जाता है। संसद, लोकसभा के सदस्य एकल सदस्यीय जिलों में भारतीय जनता के मतदान द्वारा सीधे चुने जाते हैं और संसद सदस्य, राज्यसभा सभी राज्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा चुने जाते हैं। संसद में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 की स्वीकृत संख्या है, जिसमें साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता से 12 नामांकित व्यक्ति शामिल हैं। संसद नई दिल्ली में संसद भवन में मिलती है।
लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या 550 परंतु वर्तमान में 543 सेहै। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें अधिकतम सदस्य संख्या 250 है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन 6 वर्ष के लिए होता है। जिसके 1/3 सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते रहते हैं।
आइए जानते हैं भारतीय संविधान में संसद, लोकसभा, एवं राज्यसभा से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद
- अनुच्छेद 79 :- संसद का गठन
- अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना
- अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना
- अनुच्छेद 83 :- संसद के सदनो की अवधि
- अनुच्छेद 84 :-संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता
- अनुच्छेद 85 :- संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन
- अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण
- अनुच्छेद 88 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी अधिकार
- अनुच्छेद 89 :-राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
- अनुच्छेद 90 :- उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया जाना
- अनुच्छेद 91 :-सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति
- अनुच्छेद 92 :- सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना
- अनुच्छेद 93 :- लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
- अनुच्छेद 94 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
- अनुच्छेद 95 :- अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां
- अनुच्छेद 96 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब उसका पीठासीन ना होना
- अनुच्छेद 97 :- सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
- अनुच्छेद 98 :- संसद का सविचालय
- अनुच्छेद 99 :- सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 100 :- संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
- 100 :-स्थानों की रिक्ति
- 105:- संसद सदस्यों शक्तियां,
- विशेषाधिकार, आदि
- 106:- संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते
- 108:- दोनों संसद सदनों की संयुक्त बैठक
- 109-110 :- मनी बिल
- 112:- वार्षिक वित्तीय बजट
- 123:- राष्ट्रपति की शक्ति अध्यादेश का प्रसार जब संसद समाप्ति / विराम में होती है