देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार के नाम आ गए हैं। जिसमें से एक नाम द्रौपदी मुर्मू एवं दूसरा नाम यशवंत सिन्हा का है। देश में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी आदिवासी महिला उम्मीदवार को इस पद के लिए खड़ा किया गया। यदि द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति चुनी जाती हैं तो वे देश की पहली आदिवासी तथा दूसरी महिला राष्ट्रपति होगी। जो कि देश के लिए गर्व की बात होगी। इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू झारखंड और मणिपुर की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी है।
हालांकि आंकड़ों पर नजर डाले तो द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी काफी मजबूत मानी जा रही है ।करीब डेढ़ 2 लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीत सकती हैं। बेहद गरीब और पिछड़े परिवार से आने वाले मुर्मू की जिंदगी में कई कठिनाइयां रही। उन्होंने 5 साल के अंदर अपने दो बेटों और पति को खो दिया इनकी जिंदगी काफी संघर्ष भरी है।

आइए जानते हैं कि क्या है हमारी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष की कहानी
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष भरा रहा । अपने जीवन में उन्होंने अनेक कठिनाइयों का सामना किया। मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई । साल 1969 से 1973 तक आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ी। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी वूमंस कॉलेज में दाखिला लिया।
मुर्मू अपने गांव की पहली ऐसी लड़की थी जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची थी। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी , दोस्ती बढ़ी और वही दोस्ती उनकी प्यार में बदल गई । श्याम चरण भी उस वक्त भुनेश्वर में एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। जिंदगी कब और क्या नया मोड़ लेती है शायद किसी को नहीं पता होता है। इनकी जिंदगी में भी एक नया मोड़ आया..
जब शादी का प्रस्ताव लेकर घर पहुंचे श्याम चरण
यह बात 1980 की है । जब द्रौपदी और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे अब वे दोनों विवाह करना चाहते थे दोनों एक साथ आगे बढ़ करके जिंदगी जीना चाहते थे। परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रोपदी के घर पहुंच गए श्याम चरण के चाचा गांव में ही रहते थे ऐसे में बात करने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को द्रौपदी के घर ही बुलवा लिया ।

तमाम कोशिशों के बावजूद उनके पिता बीरांची नारायण टुडू ने इस रिश्ते को लेकर साफ मना कर दिया कि वे यह शादी नहीं कर सकते परंतु श्याम चरण मानने वाले लोगों में से भी थे । उन्होंने भी दृढ़ निश्चय कर लिया की शादी करेंगे तो केवल द्रौपदी से अन्यथा नहीं करेंगे।
जब श्याम चरण में 3 दिन तक द्रोपति के गांव में ही डेरा डाल लिया तो थककर द्रोपदी के पिता को इस रिश्ते में के लिए हामी भरनी पड़ी।
जाने क्या मिला दहेज में श्याम चरण को
शादी के लिए द्रौपदी के पिता मान चुके थे आप श्याम चरण आदर बजे के घर वाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रोपदी को एक गाय एक बैल, 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे दोनों की परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती है उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ समय बाद रख दी का विवाह श्याम चरण के साथ हो गया।

द्रौपदी एक पढ़ी-लिखी लड़की थी अपनी पहचान बनाते हुए अपने पति का मान बढ़ाया चाहती थी यही कारण है कि उन्होंने एक विद्यालय खोलने का निश्चय किया
द्रौपदी मुर्मू का सरल पहाड़पुर गांव में है यहां उन्होंने अपने घर को ही स्कूल में बदल दिया। इसका नाम श्याम चरणलक्ष्मण शिपन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय रखा।
द्रोपदी ने वर्ष 2016 में अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया था हर साल द्रौपदी अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहां जरूर आती है।
संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी
द्रौपदी मुर्मू जो कि भारत में पहली ऐसी आदिवासी महिला है जिनका नाम राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर भेजा गया है । इन्हें एनडीए पार्टी की तरफ से उतारा गया है देखते हैं कि वे राष्ट्रपति बनने में सफल होती है अथवा नहीं। परंतु इसके पहले हम जान लेते हैं इनकी संघर्ष भरी कहानी….
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के ऊपर बेड़ा गांव में हुआ था मुर्गो संथाल आदिवासी परिवार से आती है उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण था जो कि एक किसान थे। जैसा कि आपने अभी ऊपर देखा कि द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण के साथ हुई थी । दोनों से 4 बच्चे हुए थे इनमें से दो बेटियां और दो बेटे थे साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई थी इसके बाद 2009 में एक और और 2013 में दूसरी बेटी की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। जिससे द्रौपदी मुर्मू काफी टूट गई थी।

परंतु उन्होंने हिम्मत ना हारी और डट कर खड़ी रही थी। क्योंकि उनके सामने अभी एक और बेटी थी ।जिसे उन्हें पालना था , पढ़ा लिखा कर बड़ा करना था। इस बेटी का नाम इतिश्री है । जिसका वर्तमान में विवाह हो गया है और उसकी बेटी भी है। ज्ञानी द्रौपदी मुर्मू अब नानी बन गई है।

यह है द्रौपदी मुर्मू की जीवन के संघर्ष की कहानी। जिन्होंने जिंदगी में इतने बड़े संघर्ष के बाद भी आगे बढ़कर अपना मुकाम हासिल किया और देश की तरक्की में सहयोग कर रही है।